Madhumita Murder Case: CM योगी आदित्यनाथ हमारे अभिभावक और मार्गदर्शक, माता-पिता की समयपूर्व रिहाई पर बोले अमनमणि त्रिपाठी

Edited By Mamta Yadav,Updated: 27 Aug, 2023 03:38 AM

cm yogi adityanath our guardian and guide amanmani tripathi said

कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्या कांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अपने माता-पिता अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि को सजा पूरी होने से पहले रिहा किए जाने के एक दिन बाद शनिवार को पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ हमारे...

Gorakhpur News: कवयित्री मधुमिता शुक्ला हत्या कांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अपने माता-पिता अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि को सजा पूरी होने से पहले रिहा किए जाने के एक दिन बाद शनिवार को पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने कहा कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ हमारे अभिभावक और मार्गदर्शक हैं और उनके साथ हमारा रिश्ता राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक है।
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पत्रकारों से बातचीत में नौतनवा (महराजगंज) के पूर्व विधायक अमनमणि ने माता-पिता की रिहाई पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, ''जिस तरह भगवान श्री राम के 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर दीपोत्सव मनाया गया था, वैसा ही माहौल नौतनवा में भी है।'' कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा पाए उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी (66) और उनकी पत्नी मधुमणि (61) को शुक्रवार शाम को जेल से रिहा कर दिया गया। उत्तर प्रदेश शासन के कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग के विशेष सचिव मदन मोहन ने बृहस्पतिवार को राज्य की 2018 की रिहाई नीति का जिक्र करते हुए अमरमणि की समयपूर्व रिहाई संबंधी एक आदेश जारी किया था।

हमें भारतीय संविधान पर पूरा भरोसा है: अमनमनि
अधिकारी ने आदेश का हवाला देते हुए कहा कि विभाग ने उनकी वृद्धावस्था और जेल में अच्छे आचरण का जिक्र किया था। दंपति ने सोलह साल की सजा पूरी कर ली है और फिलहाल दोनों बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हैं। गोखरपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में अमनमणि ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) हमारे अभिभावक और मार्गदर्शक हैं। मैं नियमित रूप से उनसे मिलता हूं, हमेशा उनका आशीर्वाद लेता हूं... मैं राजनीति में सक्रिय हूं और नियमित रूप से उनसे (मुख्यमंत्री) सलाह लेता हूं।'' उन्होंने कहा, ''मुख्यमंत्री के साथ राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक संबंध है। मैं पारिवारिक मामलों में भी उनसे सलाह लेता हूं।'' यह कहते हुए कि उन्हें और उनके माता-पिता को रिहाई आदेश के बारे में पहले से पता नहीं था, अमनमणि ने कहा, ‘‘पहले तो मुझे इस आदेश पर विश्वास नहीं हुआ। मैंने आदेश को कई बार पढ़ा और यहां तक कि वकीलों से भी सलाह ली जिन्होंने पुष्टि की कि रिहाई का आदेश वास्तव में जारी किया गया है। मेरे पिता के पास कोई जानकारी नहीं थी और रिहाई के कागजात पर हस्ताक्षर करते समय उन्होंने मुझसे इसके बारे में पूछा और मैंने उन्हें बताया कि यह रिहाई आदेश है।'' रिहाई आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाली कवयित्री मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला के बारे में बात करते हुए अमनमणि ने कहा, ‘‘हर कोई अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र है। हमें भारतीय संविधान पर पूरा भरोसा है।''

'अस्पताल से छुट्टी मिलने पर वे निश्चित रूप से सीधे घर आएंगे'
अमनमणि ने कहा कि उनकी मां को मनोरोग संबंधी समस्याएं हैं और पिता न्यूरोलॉजिकल और रीढ़ की हड्डी संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, जिससे उनकी चलने की क्षमता कुछ हद तक प्रभावित होती है। उन्होंने कहा, "न्यायिक हिरासत के कारण, डॉक्टर उन्हें उच्च चिकित्सा केंद्रों में रेफर करने में सक्षम नहीं थे, लेकिन अगर वे सुझाव देते हैं, तो हम निश्चित रूप से उन्हें वहां ले जाएंगे। वर्तमान में, डॉक्टर उनकी स्वास्थ्य स्थिति और हाल ही में उन्हें दी जा रही नयी दवा के प्रभाव का आकलन कर रहे हैं।" अमनमणि ने कहा, मेरे माता-पिता अस्‍वस्‍थ हैं। वे कहीं और जाने की स्थिति में नहीं हैं, वे अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं। अस्पताल से छुट्टी मिलने पर वे निश्चित रूप से सीधे घर आएंगे।''

9 मई, 2003 को गर्भवती कवयित्री की हुई थी हत्या 
गौरतलब है कि अमरमणि 1996 से 2002 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व की भारतीय जनता पार्टी की सरकारों में मंत्री रहे और वह मायावती के नेतृत्व की बसपा सरकार में मंत्री रहे। गर्भवती कवयित्री मधुमिता की नौ मई, 2003 को पेपर मिल कॉलोनी, लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अमरमणि त्रिपाठी को सितंबर, 2003 में कवयित्री की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। दोनों के बीच कथित रूप से प्रेम संबंध था। इस मामले की जांच केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) को सौंपी गयी थी। देहरादून की एक अदालत ने अक्टूबर 2007 में मधुमिता की हत्या के लिए अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद नैनीताल उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी दंपति की सजा को बरकरार रखा था।

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