लोकसभा चुनाव 2024 में बसपा के लिए लालगंज सीट बचाने की चुनौती, मायावती ने इस दिग्गज महिला को बनाया प्रत्याशी

Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Apr, 2024 03:42 PM

challenge for bsp to save lalganj seat

लालगंज संसदीय सीट इस पर बसपा के लिए नाक का सवाल है। 2019 में इस सीट पर कब्जा जमाने वाली भाजपा ने इस बार नए चेहरे को मैदान में उतारा है। जबकि पार्टी की सांसद सीमा आजाद ने टिकट न मिलने की वजह से ही भाजपा का दामन थाम लिया है।

मऊ: आजमगढ़ जिले की लालगंज संसदीय सीट बसपा के लिए नाक का सवाल है। 2019 में इस सीट पर कब्जा जमाने वाली भाजपा ने इस बार नए चेहरे को मैदान में उतारा है। जबकि पार्टी की सांसद सीमा आजाद ने टिकट न मिलने की वजह से ही भाजपा का दामन थाम लिया है। भाजपा ने यहां से 2014 की मोदी लहर में जीतीं नीलम सोनकर पर फिर से विश्वास जताया है। जबकि सपा से पूर्व सांसद दरोगा प्रसाद सरोज तो बसपा से डॉ. इंदू चौधरी मैदान में हैं।



 भाजपा ने इसीलिए 2019 के लोकसभा चुनाव  इंदू चौधरी को अपना चेहरा
वैसे तो लालगंज सुरक्षित सीट पर कभी बसपा तो कभी सपा का कब्जा रहा, लेकिन 2014 में जब मोदी लहर आई तो भाजपा की नीलम सोनकर ने यहां अच्छे-खासे मतों से जीत दर्ज की। भाजपा ने इसीलिए 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें मैदान में उतारा पर पार्टी की अंतरकलह और सपा-बसपा के गठजोड़ की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। नीलम को इस सीट पर सीमा आजाद ने हराया। इस बार सीमा आजाद को उम्मीद थी कि बसपा प्रमुख मायावती उन्हें दोबारा मैदान में उतारेंगी पर ऐसा नहीं हो सका। पार्टी ने उनका टिकट काटकर डॉ. इंदू चौधरी को अपना चेहरा बना दिया। सीमा ने पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इसे बसपा के लिए बड़ा झटका माना गया। इस बार सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। सीट सपा केखाते में है। पार्टी ने यहां से दो बार सांसद रह चुके दरोगा सरोज पर फिर से विश्वास जताया है।



पांचों विधानसभा सीटों पर सपा काबिज
अगर यहां हुए संसदीय चुनावों में जीत की बात करें तो चार बार बसपा, तीन बार कांग्रेस, जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी दो-दो बार, भाजपा और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी को एक एक बार जीत मिली। जनता दल ने भी दो बार यहां से परचम लहराया। लालगंज संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती है। सभी सीटें आजमगढ़ जिले में ही पड़ती हैं। विधानसभा सीटों में अतरौलिया, निजामाबाद, फूलपुर- पवई, दीदारगंज और लालगंज सीटें शामिल हैं। खास बात यह है कि सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है।

कौन हैं इंदु चौधरी :
BSP सुप्रीमो मायावती ने इस बार लोकसभा चुनावों में यूपी की लालगंज सीट से इंदु चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। साल 2019 में लालगंज की यह सीट बसपा के खाते में ही गयी थी लेकिन इस सीट से जीत दर्ज करने वाली संगीता आजाद पिछले महिने ही बसपा छोड़ बीजेपी में शामिल हो गयी। जिसके बाद मायावती ने इस सीट के लिए इंदु चौधरी पर भरोसा जताया है। इंदु चौधरी लगातार डोर टू डोर कैंपेनिंग कर रही हैं। बता दें कि दलित समाज से आने वाली इंदु चौधरी पिछले एक दशक से बसपा की विचारधारा पर काम कर रही हैं।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में रह चुकीं हैं असिस्टेंट प्रोफेसर
लालगंज से बीएसपी की उम्मीदवार इंदु चौधरी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu university) के अंग्रेजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रह चुकीं हैं। इंदु चौधरी का जन्म अंबेडकर नगर जिले के निकस पुर गांव में हुआ था और उनका बचपन यूपी की राजधानी लखनऊ की रेलवे कॉलोनी में बीता, जहां उनके पिता काम करते थे। फिलहाल वह अंबेडकरनगर के राजे सुल्तान में रहती हैं। वहीं उनके पति इंजीनियर महेंद्र प्रताप सिंह इटावा के रहने वाले हैं।

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