Edited By Ajay kumar,Updated: 06 Feb, 2024 10:21 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति परिलाभों के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों का निर्धारण करते समय कर्मचारी की तदर्थ आधार पर प्रदान की गई सेवाओं की गणना भी होनी चाहिए।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्ति परिलाभों के मामले में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों का निर्धारण करते समय कर्मचारी की तदर्थ आधार पर प्रदान की गई सेवाओं की गणना भी होनी चाहिए।
याची को एक माह के भीतर बकाया भुगतान देने के निर्देश
उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर की एकलपीठ ने रामसेवक यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए विपक्षियों को एक परमादेश जारी किया कि इस निर्णय की प्रति प्राप्त होने की तारीख से 2 महीने की अवधि के भीतर याची की पेंशन और ग्रेच्युटी सहित सभी सेवानिवृत्ति परिलाभों को संशोधित और पुनर्निर्धारित किया जाए। इसके साथ ही संशोधित लाभों के बकाया का भुगतान 1 महीने के भीतर याची को किया जाए। भुगतान में किसी भी प्रकार की देरी की स्थिति में याची देय बकाया दर पर 6% प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज का हकदार होगा।
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि याची नगर पालिका परिषद, इटावा के जल आपूर्ति विभाग में 2 सितंबर 1988 से तदर्थ आधार पर पंप अटेंडेंट के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी सेवाएं मार्च 2006 में नियमित कर दी गईं और जुलाई 2022 में वह सेवानिवृत्त हो गये। याची के सेवानिवृत्ति के बाद के बकाए का सत्यापन उपनिदेशक, स्थानीय निधि लेखा विभाग, कानपुर द्वारा किया गया था, लेकिन विपक्षियों द्वारा याची की पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य सेवानिवृत्ति परिलाभों को निर्धारित करते समय नियमितीकरण से पहले तदर्थ आधार पर प्रदान की गई याची की सेवा अवधि को ध्यान में न रखना एक स्पष्ट त्रुटि है। कोर्ट ने पाया कि सेवानिवृत्ति परिलाभों का निर्धारण तदर्थ आधार पर प्रदान की गई सेवा अवधि को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। कोर्ट ने मुख्य रूप से इस आदेश की प्रति प्रमुख सचिव, स्थानीय निकाय उत्तर प्रदेश, लखनऊ के साथ साथ निर्देशक स्थानीय निकाय, लखनऊ को निबंधन (अनुपालन) द्वारा भेजने का निर्देश दिया है।