Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Sep, 2017 10:05 AM
विगत दिनों से चला आ रहा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं से छेड़छाड़ मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि हाल ही में एक फिजी स्टूडेंट ने वाइस चासंलर जीसी त्रिपाठी के खिलाफ संगीन आरोप लगा दिए है....
वाराणसीः विगत दिनों से चला आ रहा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्राओं से छेड़छाड़ मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि हाल ही में एक फिजी स्टूडेंट ने वाइस चासंलर जीसी त्रिपाठी के खिलाफ संगीन आरोप लगा दिए है।
नियुक्ति को लेकर उठा बवाल
बता दें जीसी त्रिपाठी पर यह मुसीबत विश्वविद्यालय की एग्जिक्यूटिव काउंसिल की बैठक में डॉक्टर ओपी उपाध्याय को सर सुंदरलाल अस्पताल का प्रमुख के तौर पर नियुक्त करने को लेकर आई है।
फिजी अदालत में चल रहा केस
क्योंकि ओपी उपाध्याय को फिजी की एक कोर्ट यौन शोषण के मामले में दोषी ठहरा चुकी है। हालांकि उपाध्याय ने साल 2014 में फिजी के हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की थी, लेकिन उसने भी निचली अदालत का फैसला कायम रखा। एग्जिक्यूटिव काउंसिल के ही एक सदस्य ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाया है।
फिजी स्टूड़ेट ने लगाए हम बिस्तर होने के आरोप
एक निजी न्यूज पेपर के पास मौजूद फिजी की अदालत के आदेश की कॉपी के अनुसार 21 वर्षीय स्टूडेंट नासिनू ने 2013 में अदालत में बयान दिया था जिसमें उसने कहा था ''उन्होंने (जीसी त्रिपाठी) ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने घर आने को कहा। जब मैं उनके घर गई तो उन्होंने मुझे हमबिस्तर होने को कहा।'' कोर्ट के फैसले के दस्तावेज में नासिनू का बयान यह भी बताता है कि ये सारी बातें हिंदी में ही हुई थीं।
अदालत ने जीसी को दोषी करार किया
नासिनू के मुताबिक 'उन्होंने कमरे में मेरे कंधे पर हाथ रखा, जांघों पर हाथ फेरते हुए मेरे गाल पर किस भी की।' उस वक्त फिजी नेशनल यूनिवर्सिटी में वाइस-चांसलर के एडवाइजर थे। जिसपर फिजी की अदालत ने उपाध्याय को "अनैतिक और अमार्यादित हमले" का दोषी पाया था।
त्रिपाठी ने विदेशी अदालत के फैंसले से किया इन्कार
वहीं ओपी का कहना है कि यह झूठा आरोप लगाया गया है। उपाध्याय के मुताबिक, बीएचयू ने मेरे मामले में कानूनी सलाह ली है और ये फैसला हुआ कि किसी विदेशी कोर्ट का फैसला हमारे देश में कोई वैधता नहीं रखता। इसलिए सेलेक्शन कमेटी ने मेरा इंटरव्यू लिया गया और मुझे चुना। उपाध्याय ने कहा उस वक्त मैं (फिजी में) में अध्ययन अवकाश पर था। ये मामला जबरन धन उगाही का था।
इसलिए शुरु हुआ था बवाल
बता दें कि जीसी त्रिपाठी का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म हो रहा है। मानव संसाधन मंत्रालय के नियमों के अनुसार किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर अपने कार्यकाल के आखिरी 2 महीनों में कोई भी नियुक्ति नहीं कर सकते। इसके अनुसार 27 सितंबर को जीसी त्रिपाठी की नियुक्ति की पॉवर खत्म हो रही थी। लेकिन 26 सितंबर को उन्होंने ओपी उपाध्याय को सर सुंदरलाल अस्पताल का प्रमुख के तौर पर नियुक्त कर दिया।