अपने ही लोगों सेे परेशान योगी!

Edited By ,Updated: 24 Feb, 2017 03:49 PM

yogi upset anybody with their own people

गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।

लखनऊ:गोरखपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। वाहिनी का एक विद्रोही वर्ग कई सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। बता दें कि साल 2002 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया था और भाजपा नेता ही इसके मुख्य संरक्षक हुआ करते हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाली वाहिनी का इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। गोरक्षा, लव जेहाद के साथ-साथ दंगों के दौरान भी इसकी भूमिका देखी जाती रही है। पूर्वांचल के कुछ जिलों में इसकी अच्छी उपस्थिति है। गोरखपुर के अलावा मऊ, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर एवं सिद्धार्थ नगर में इस संगठन की अच्छी पहचान है।

हिंदू युवा वाहिनी के प्रत्याशियों से भाजपा को हो सकता है नुक्सान
हिंदू युवा वाहिनी के कुछ नेता जैसे राज्य प्रभारी राघवेंद्र सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इसका एक विद्रोही घटक राजनीति में आने को बेताब है और इस बार उन्होंने अपने कुछ प्रत्याशी खड़े भी किए हैं और कुछ अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों को अपना समर्थन भी दे रहे हैं। वाहिनी के महामंत्री राम लक्ष्मण, जो अभी विद्रोही सुनील सिंह के साथ आ गए हैं, कहते हैं कि वे लोग पिछले 15 सालों से वाहिनी के लिए काम कर रहे हैं और अगर उनकी नहीं सुनी जाएगी तो वे कैसे साथ में काम कर पाएंगे। लक्ष्मण के पास एक लैटर हैड है, जिसके ऊपर राज्य प्रमुख के तौर पर सुनील सिंह का नाम है तथा 20 के करीब हिंदू युवा वाहिनी-सेना के सांझा उम्मीदवारों के नाम लिखे गए हैं। सुनील का कहना है कि  खड्डा, चौरी चौरा, पडरौना, हाता, फरेंदा एवं कुछ अन्य सीटों पर कुल 14 उम्मीदवार इनके संगठन ने उतारे हैं। इसके अलावा 5 अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों को ये लोग समर्थन भी दे रहे हैं। हालांकि, वाहिनी के वर्तमान राज्य प्रमुख राघवेंद्र का कहना है कि हिंदू युवा वाहिनी का कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है और जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें संगठन से निकाल दिया गया है।

हिंदू युवा वाहिनी की पहचान आदित्यनाथ के साथ
दूसरी ओर सुनील संगठन से उनके निकाले जाने को असंवैधानिक बताते हैं। हालांकि, सुनील का स्थान संगठन में जो भी रहा है और वर्तमान में वे किसी पद पर हों या न हों लेकिन इन लोगों ने भाजपा के सामने एक चुनौती तो खड़ी कर ही दी है। भाजपा के क्षेत्रीय प्रवक्ता सत्येन्द्र सिन्हा कहते हैं कि हिंदू युवा वाहिनी की पहचान आदित्यनाथ के साथ है और आदित्यनाथ पहले ही कह चुके हैं कि वाहिनी चुनाव नहीं लड़ रही है, तो इसका मतलब है कि जो चुनाव लड़ रहे हैं उसका वाहिनी से कोई संबंध नहीं है। वहीं सुनील कहते हैं कि योगी जी का मिशन हिंदुत्व है, अब वे अपने मिशन से भटक गए हैं और एक पार्टी के साथ चलने लगे हैं। इसके साथ ही सेना के राज्य प्रमुख अनिल सिंह कहते हैं कि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है और मोदी जी चुप बैठे हैं। उनका कहना है कि वे लोग राम मंदिर के लिए प्रचार करेंगे। वे कहते हैं कि भाजपा हिंदुत्व का मजाक उड़ा रही है।

शिवसेना और भाजपा के साथ खराब हो रहे संबंध
वे कहते हैं कि आदित्यनाथ इस बात से परेशान हैं कि सेना के चुनाव चिन्ह पर उनके लोग चुनाव लड़ रहे हैं। वे कहते हैं कि शिवसेना और भाजपा के साथ वैसे भी संबंध खराब हो रहे हैं और वह अब आगे भी दूसरे संगठनों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। हिंदू युवा वाहिनी के काम के बारे में इनका कहना है कि ये गौ सेवा करते हैं एवं नेपाल व बंगलादेश भेजे जाने वाली गायों की रक्षा करते हैं। रात भर उनके कार्यकर्त्ता पहरा देते हैं। इसके अलावा ये लोग लव जेहाद के बारे में भी बोलते हैं। उनका कहना है कि उनके कार्यकर्त्ता मंदिरों या पर्यटन स्थलों पर इसके ऊपर ध्यान देते हैं कि मुस्लिम कलावा पहनकर हिंदू लड़कियों के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश न करें। अब चाहे योगी आदित्यनाथ इन लोगों को हिंदू युवा वाहिनी से अलग कर देने की बात करें या फिर वाहिनी के चुनाव लड़ने को अस्वीकार करें लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि इनके चुनाव मैदान में उतरने के बाद आदित्यनाथ को और खासकर भाजपा को परेशानी तो हो गई है।

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