अयोध्या: यूपी सरकार ने शीर्ष अदालत में मुस्लिम संगठनों के अनुरोध का विरोध किया

Edited By Ajay kumar,Updated: 06 Jul, 2018 07:54 PM

up government opposed the request of muslim organizations in the apex court

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि कुछ मुस्लिम संगठन वर्ष 1994 के एक फैसले की इस टिप्पणी पर पुर्निवचार की मांग करके ‘‘लंबे वक्त से विचाराधीन’’ अयोध्या मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई में देरी का प्रयास कर रहे हैं कि मस्जिद...

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि कुछ मुस्लिम संगठन वर्ष 1994 के एक फैसले की इस टिप्पणी पर पुर्निवचार की मांग करके ‘‘लंबे वक्त से विचाराधीन’’ अयोध्या मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई में देरी का प्रयास कर रहे हैं कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न भाग नहीं है।  

अयोध्या मामले के मूल याचिकाकर्ताओं में से एक एम सिद्दीक ने 1994 के एम इस्माइल फारूकी मामले के इन निष्कर्षों पर आपत्ति जताई थी कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्न भाग नहीं है। सिद्दीक का निधन हो चुका है और उनके कानूनी उत्तराधिकारी द्वारा उनका प्रतिनिधित्व किया जा रहा है।      

मुस्लिम संगठनों ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूॢत अशोक भूषण और न्यायमूॢत एस ए नजीर की विशेष पीठ के सामने दलील दी कि फैसले में शीर्ष अदालत की ‘व्यापक’ टिप्पणी पर पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पुर्निवचार करने की जरूरत है क्योंकि इसका बाबरी मस्जिद-राम मंदिर भूमि विवाद मामले पर ‘प्रभाव पड़ा है और आगे भी पड़ेगा।’     

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस विवाद को ‘‘ करीब एक सदी से ’’ अंतिम निर्णय का इंतजार है। उन्होंने कहा कि इस टिप्पणी का मुद्दा 1994 से न तो किसी याचिकाकर्ता ने उठाया और ना ही इसे उच्च न्यायालय द्वारा 2010 में फैसला सुनाये जाने के बाद दायर वर्तमान अपीलों में उठाया गया। मेहता ने कहा कि इस मुद्दे को उठाने में असामान्य देरी का कारण कार्यवाही में देरी की मंशा है।     

राज्य सरकार ने कहा कि इस्माइल फारूकी मामले में इस अदालत द्वारा तय किया गया कानून ‘सही कानून है जिसे न तो ऊपरी अदालत के पास भेजकर और ना ही किसी अन्य तरह’ से छेड़ा जाना चाहिए। इससे पहले सिद्दीक के कानूनी वारिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि 1994 में शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर कोई ‘जांच’ किये बिना या हदीस पर विचार किये बिना कहा था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न भाग नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस्लाम कहता है कि मस्जिदें धार्मिक विश्वास का अभिन्न भाग हैं। हदीस यह कहता है लेकिन उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह इस्लाम का अभिन्न भाग नहीं है।’     

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!