2019 में तय माना जा रहा है सपा-बसपा का गठबंधन, ये रही 5 वजह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Mar, 2018 03:28 PM

it is believed that in 2019 the sp bsp combine is being held

राजनीति में एक प्रसिद्ध कहावत है कि यहां न काेई स्थाई दाेस्त हाेता है आैर न ही स्थाई दुश्मन। लगातार चलती रहती है, जिस आेर हित हाेगा उस आेर झुकाव।

लखनऊः राजनीति में एक प्रसिद्ध कहावत है कि यहां न काेई स्थाई दाेस्त हाेता है आैर न ही स्थाई दुश्मन। लगातार चलती रहती है, जिस आेर हित हाेगा उस आेर झुकाव। इसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेश के गाेरखपुर आैर फूलपुर उपचुनाव में देखने काे मिल रहा है। राजनीतिक रूप से धुर-विराेधी सपा-बसपा के इस चुनाव में गठबंधन की संभावना है। सूत्राें के मुताबिक बसपा सुप्रीमाे मायावती ने इन दाेनाें सीटाें पर अपने कैंडिडेट न उतारकर सपा प्रत्याशी काे समर्थन देने की सहमति दे दी है। इन्हीं चर्चाओं और अटकलों के बीच आज हम आपको बताएंगे ऐसी वह पांच बातें जो दर्शाती हैं कि अगर 2019 के लोकसभा में पीएम मोदी का विजय रथ रोकना है तो इन दो दलों को गठबंधन के साथ ही मैदान में आना होगा।

1.धर्म निरपेक्ष पार्टी से गठबंधन काे तैयार है बसपाः मायावती 
14 अप्रैल 2018 को डॉ. अंबेडकर की 126वीं जयंती के शुभ अवसर पर मायावती ने एेलान करते हुए कहा, “किसी भी धर्म निरपेक्ष पार्टी के साथ हम गठबंधन सम्मानजनक सीट संख्या मिलने पर ही करेंगे, वर्ना पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी”। मायावती के इस बयान के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी सहमति जाहिर की। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे रिश्ते किसी से खराब नहीं हैं। कोई रिश्ता बनाए, तो सबसे पहले हम रिश्ता बना लेते हैं”।

2.मायावती के EVM पर लगाए आराेप पर अखिलेश का समर्थन
बीते 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों में मायावती ने जिस तरह पार्टी की हार का ठीकरा EVM पर फोड़ा और उसके बाद उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में बैलेट से चुनाव कराने की मांग की, उनकी इस मांग और आरोप के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश भी उनकी इस मांग के समर्थन में दिखे।

6 जनवरी 2018 को EVM के मुद्दे पर अखिलेश द्वारा बुलाई सर्वदलीय बैठक भी इस बात की पुष्टि करती है की वो मायावती के EVM विरोध पर उनकी ही राह पर चल रहे हैं। हालांकि इस बैठक में बीएसपी की तरफ से उनका कोई प्रतिनिधि नहीं शामिल हुआ, पर सपा ने पुष्टि की कि बसपा ने सहमति पत्र भेजा था।

3.सहारनपुर हिंसा पर सपा-बसपा ने बीजेपी काे ठहराया दाेषी
मायावती पर हमेशा से ही यह आरोप लगते रहे हैं कि वो रैलियों के अलावा जनता से सीधे मुखातिब नहीं होती हैं लेकिन, सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों के साथ हुई हिंसा ने मायावती को उनके बीच जाने को मजबूर कर दिया। घटना बड़ी थी और पीड़ित समुदाय दलित। मायावती सड़क मार्ग से सहारनपुर पहुंचती हैं और शब्बीरपुर के पीड़ितों से मिलकर उनको मदद का पूरा भरोसा दिलाती हैं। अखिलेश भी इस घटना में पीड़ितों का दर्द समझते हुए सहारनपुर अपना प्रतिनिधिमंडल भेजते हैं और घटना को लेकर बीजेपी को दोषी ठहराते हैं।

4.दाेनाें पार्टियाें काे सता रहा मुस्लिम वोटों का बिखराव
दोनों ही पार्टी प्रमुखों के लिए जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है वो है मुस्लिम वोटों का बिखराव रोकना। और 2019 में दोनों ही पार्टी नहीं चाहती हैं कि उनके टकराव में मुस्लिम वोटों का बिखराव हो।

5.बीजेपी की बढ़ती रफ्तार काे राेकना दाेनाें का मकसद 
विधानसभा चुनावाें में बीजेपी की जीत की रफ्तार काे राेकना दाेनाें ही पार्टियाें का मुख्य मकसद है। जिसके तहत दोनों ही पार्टी दलित, पिछड़ा, मुस्लिम और उदारवादी सवर्णों के जरिए 2019 में बीजेपी का विजय रथ रोकने की रणनीति पर काम कर रही हैं। दोनों का एक ही पैटर्न पर काम करना कहीं न कहीं मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक माहौल को देखते हुए दोनों दलों के मुखियाओं पर उनके समर्थकों का अघोषित दबाव भी दिखा रहा है। बसपा ने गाेरखपुर आैर फूलपुर उपचुनाव में सपा काे समर्थन भले ही देने का मन बना लिया हाे लेकिन इन दाेनाें सीटाें पर मिलने वाले नतीजाें के बाद ही पार्टी आगे की रणनीति निर्धारित करेगी। 

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