गोरखपुर हादसे को लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Aug, 2017 10:57 AM

gorakhpur brd college rajeev routale

गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में चंद घंटों के भीतर कई बच्चों की मौत मामले में स्थानीय डीएम की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

गोरखपुर: गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में चंद घंटों के भीतर कई बच्चों की मौत मामले में स्थानीय डीएम की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यदि जिम्मेदार डॉक्टरों ने समय रहते एक्शन लिया होता तो ऑक्सीजन की कमी के संकट से उबरा जा सकता था। इससे कई मासूमों समेत अन्य की जान बच सकती थी। 

 जिलाधिकारी राजीव रौतेला द्वारा गठित पांच सदस्‍यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी मेसर्स पुष्‍पा सेल्‍स प्राइवेट लिमिटेड ने ऑक्‍सीजन की आपूर्ति बाधित कर दी, जिसके लिये वह जिम्‍मेदार है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था क्‍योंकि इसका प्रत्यक्ष सम्‍बन्‍ध मरीजों के जीवन से था।  जांच समिति ने पाया है कि मेडिकल कॉलेज के एक्‍यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम वार्ड के नोडल अधिकारी डॉक्‍टर कफील खान ने एनेस्‍थीसिया विभाग के प्रमुख डॉक्‍टर सतीश कुमार को वार्ड का एयर कंडीशनर खराब होने की लिखित सूचना दी थी, लेकिन उसे समय पर ठीक नहीं किया गया। डॉक्‍टर सतीश गत 11 अगस्‍त को बिना किसी लिखित अनुमति के मेडिकल कॉलेज से गैरहाजिर थे। डॉक्‍टर सतीश वार्ड में ऑक्‍सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिये जिम्‍मेदार थे, लिहाजा वह अपने कर्तव्‍य के प्रति लापरवाही के लिये प्रथम दोषी हैं।  मालूम हो कि 10-11 अगस्‍त को मेडिकल कॉलेज में बच्‍चों की मौत होने के बाद डॉक्‍टर कफील को हटा दिया गया था। 

जांच समिति ने एक और लापरवाही का जिक्र करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि डॉक्‍टर सतीश और मेडिकल कॉलेज के चीफ फार्मासिस्‍ट गजानन जायसवाल पर ऑक्‍सीजन सिलेंडरों की स्‍टॉक बुक और लॉग बुक को अपडेट करने की जिम्‍मेदारी थी, लेकिन उन्‍होंने ऐसा नहीं किया। साथ ही लॉगबुक में कई जगह ओवरराइटिंग भी की गई है। लॉगबुक के प्रभारी डॉक्‍टर सतीश ने उस पर दस्‍तखत भी नहीं किए, इससे जाहिर होता है कि इस मुद्दे को ना तो डॉक्‍टर सतीश ने और ना ही मेडिकल कॉलेज के तत्‍कालीन प्रधानाचार्य डॉक्‍टर राजीव मिश्रा ने गम्‍भीरता से लिया।  जांच समिति ने पाया है कि डॉक्‍टर राजीव मिश्र पिछली 10 अगस्‍त को, जब बच्‍चों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ, गोरखपुर से बाहर थे। इसके अलावा डॉक्‍टर सतीश भी 11 अगस्‍त को बिना अनुमति लिए मुम्‍बई रवाना हो गए। अगर इन दोनों अधिकारियों ने बाहर जाने से पहले ही समस्‍याओं को सुलझा लिया होता तो बड़ी संख्‍या में बच्‍चों की मौत नहीं होती। दोनों ही अधिकारियों को आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी द्वारा ऑक्‍सीजन की आपूर्ति बाधित किए जाने की जानकारी अवश्‍य रही होगी।  

जांच समिति ने यह भी पाया है कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्‍टर राजीव मिश्रा ने बाल रोग विभाग के अत्‍यन्‍त संवेदनशील होने के बावजूद उसके रखरखाव और वहां की जरूरत की चीजों के एवज में भुगतान पर ध्‍यान नहीं दिया।  समिति ने पाया है कि ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी ने अपने बकाया भुगतान के लिए बार-बार निवेदन किया, लेकिन पांच अगस्‍त को बजट उपलब्‍ध होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य के समक्ष पत्रावली (बिल) प्रस्‍तुत नहीं की गयी। इसके लिए लेखा विभाग के दो कर्मियों समेत तीन लोग प्रथम दोषी पाए गए हैं। 

पांच सदस्‍यीय जांच समिति ने यह भी पाया है कि स्‍टॉक बुक में ओवरराइटिंग और ऑक्‍सीजन आपूर्तिकर्ता कम्‍पनी के बिलों का श्रृंखलाबद्ध या तिथिवार भुगतान नहीं होना, प्रथम ²ष्‍ट््या वित्‍तीय अनियमितताओं की तरफ इशारा करता है। ऐसे में चिकित्‍सा शिक्षा विभाग द्वारा इसका ऑडिट और उच्‍च स्‍तरीय जांच कराना उचित होगा।  गौरतलब है कि 10-11 अगस्‍त को बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 30 बच्‍चों की मौत का मामला सामने आने पर जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने मामले की जांच के लिये एक समिति गठित की थी। हालांकि सरकार भी इस मामले की उच्‍चस्‍तरीय जांच करा रही है।  
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!