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कुसुमा नाइन की दहशत: फूलन देवी से दुश्मनी ने बना दिया कुख्यात डकैत...14 लोगों को एक साथ गोलियों से था भूना

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Mar, 2025 09:21 AM

enmity with phoolan devi made kusum nain a notorious dacoit

UP News: उत्तर प्रदेश की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का हाल ही में लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह उम्र के अंतिम दौर में कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी। कुसुमा नाइन 61 वर्ष की थीं और इटावा जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की...

UP News: उत्तर प्रदेश की कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का हाल ही में लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह उम्र के अंतिम दौर में कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थी। कुसुमा नाइन 61 वर्ष की थीं और इटावा जेल में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही थीं।

कुसुमा नाइन पर हत्या और डकैती समेत कई गंभीर मामलों में दर्ज थे केस
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक,  कुसुमा नाइन का नाम 70 के दशक में उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक के बीहड़ों में एक खौ़फ के तौर पर लिया जाता था। उस पर हत्या और डकैती समेत कई गंभीर मामलों में केस दर्ज थे। कुसुमा को कभी 'दस्यु सुंदरी' के नाम से जाना जाता था और उसे बहुत ही क्रूर डकैत माना जाता था। उसकी सबसे बड़ी दुश्मनी फूलन देवी से थी, जिसके चलते उसने कई क्रूरताएं की थीं। कहा जाता है कि एक बार कुसुमा ने अपने साथियों के साथ मिलकर फूलन देवी को बुरी तरह से पीट दिया था।

कुसुमा नाइन ने 2004 में मध्य प्रदेश के भिंड जिले में किया था आत्मसमर्पण 
कुसुमा नाइन ने 2004 में मध्य प्रदेश के भिंड जिले में आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद से वह जेल में बंद थी। इसके बाद से उसकी तबियत खराब होने लगी थी और वह कई बीमारियों से जूझ रही थी। उसकी उम्र का भी असर पड़ा था और अंत में उसे इलाज के लिए लखनऊ भेजा गया था, जहां उसकी मौत हो गई।

1970 के दशक में चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय बन चुकी थी कुसुमा नाइन
कुसुमा नाइन 1970 के दशक में चंबल के बीहड़ों में आतंक का पर्याय बन चुकी थी। वह कई डाकू गैंग्स का हिस्सा रही थी, जिनमें माधव और धर्मजीत का गैंग, विक्रम मल्लाह, लाला राम और श्रीराम के गैंग भी शामिल थे। माना जाता है कि वह कानपुर देहात के बेहमई कांड का बदला लेने के लिए डाकू बनी थी, जिसमें फूलन देवी ने 22 राजपूतों को हत्या कर दिया था। इसके बाद कुसुमा ने 1984 में 14 मल्लाहों को मौत के घाट उतार दिया और उनके घरों को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना के बाद कुसुमा नाइन और भी कुख्यात हो गई थी।

1964 में जालौन जिले में हुआ था कुसुमा नाइन का जन्म
कुसुमा का जन्म 1964 में जालौन जिले में हुआ था। उसे चंबल के इलाके में एक क्रूर और निर्दयी डाकू के रूप में जाना जाता था। उसकी क्रूरता के किस्से आज भी लोगों के जेहन में हैं। कुसुमा ने संतोष और राजबहादुर नामक दो मल्लाहों की आंखें निकालकर बेरहमी की नई मिसाल पेश की थी। कुसुमा नाइन का निधन होते ही उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के अस्ता गांव में जश्न का माहौल बन गया। यह गांव कुसुमा द्वारा की गई एक नरसंहार घटना का गवाह रहा है, और उसके जाने के बाद यहां के लोग राहत महसूस कर रहे हैं। कुसुमा नाइन के जाने से चंबल के बीहड़ों में फैला उसका आतंक अब खत्म हो गया है, लेकिन उसकी कुख्याति और उसके किए गए अपराध आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं।

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