किसानों को ऋण अदायगी के लिए नोटिस जारी ना करें बैंक: आदित्यनाथ योगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 07:05 PM

do not issue notice to farmers for loan payment  adityanath yogi

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज बैंक अधिकारियों से कहा कि वे फसल ऋण माफी योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को ऋण अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके विरूद्ध कोई कार्रर्वाई करें।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज बैंक अधिकारियों से कहा कि वे फसल ऋण माफी योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को ऋण अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके विरूद्ध कोई कार्रर्वाई करें। 

योगी ने यहां सभी बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों की विशेष राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति को संबोधित करते हुए इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि बैंकों के सहयोग के चलते फसल ऋण माफी योजना को मूर्त रूप दिया जा सका है। उन्होंने कहा, ‘यह कार्य तभी पूर्ण होगा जब प्रदेश के प्रत्येक पात्र लघु व सीमान्त किसानों के खाते में राज्य सरकार द्वारा दी गयी राहत को पहुंचा दिया जाए।’ 

उन्होंने बैंक अधिकारियों से कहा कि वे इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को ऋण अदायगी के लिए न तो कोई नोटिस जारी करें और न ही उनके विरूद्ध कोई कार्वाई करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की 22 करोड़ जनता का विकास, सीधे तौर पर गांवों के विकास से जुड़ा है। राज्य के सर्वांगीण विकास हेतु अवस्थापना सुविधाओं के विकास के साथ-साथ रोजगार के अवसर सृजित करने और ग्रामीण जनता के लिये कल्याणकारी कायक्रम चलाये जाने के लिए बैंकों का सहयोग आवश्यक है, जिससे किसान, गांव व गरीब की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में सुधार आये।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की लगभग 78 फीसदी जनसंख्या गांवों में निवास करती है और अपनी आजीविका के लिए अधिकांशतया कृषि पर निर्भर है। प्रदेश में किसानों की कुल संख्या का लगभग 93 फीसदी लघु एवं सीमान्त कृषक हैं। स्पष्ट है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक लघु एवं सीमान्त कृषकों पर निर्भर है। विगत वर्षों में दैविक आपदाओं-सूखा, बाढ़ तथा आेलावृष्टि का सर्वाधिक कुठाराघात इन कृषकों को ही झेलना पड़ा है, जिसके कारण ये कृषक बैंकों से लिये गये फसली ऋण की अदायगी भी नहीं कर पा रहे हैं। इन परिस्थितियों में उनके सूदखोरों एवं साहूकारो के मकडज़ाल में फंसने की प्रबल सभावनायें हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका सीधा प्रभाव कृषि क्षेत्र की उत्पादकता पर पडऩा तय है, जो राज्य के विकास की गति को सीधे तौर पर अवरूद्ध करेगा। प्रदेश के लघु एवं सीमान्त कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने एवं उन्हे पुन: मुख्य धारा में वापस लाने के लिए,राज्य सरकार द्वारा उनके एक लाख रपये तक के फसली ऋण को माफ करने का एेतिहासिक निर्णय लिया गया। 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा किसानों के एनपीए ऋणों को एकमुश्त समाधान (आेटीएस) के तहत राज्य सरकार की वित्तीय सहायता से ‘राइट आफ’ किये जाने का निर्णय भी लिया ताकि एेसे कृषक पुन: बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सकें जिन्हें ऋणग्रस्तता के चलते बैंकों ने फसली ऋण देना बंद कर दिया था। योगी ने कहा कि फसली ऋण योजना के प्रभावी क््िरयान्वयन के लिए बैंकों के साथ-साथ जिला तंत्र को भी जोड़ा गया है। इसके लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गयी है। जिलाधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि योजना का लाभ प्रत्येक पात्र किसान तक पहुंचे और योजना की जानकारी गांव-गांव तक पहुंचाई जाए। 

उन्होंने कहा कि योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लाभान्वित होने वाले किसानों के बैंक खातों को आधार से लिंक कराया जाय। बैंकर्स जिला प्रशासन से आवश्यक समन्वय करते हुए आवश्यकतानुसार किसानों की केवाईसी औपचारिकतायें भी पूर्ण कराए। राज्य सरकार का वर्ष 2017-18 का बजट पारित होने के तत्काल बाद लघु एवं सीमान्त किसानों की फसल ऋण माफी की समतुल्य धनराशि, बैंकों को उपलब्ध करा दी जाएगी। इस योजना से लाभान्वित होने वाले किसानों को ऋणमाफी संबंधी प्रमाण-पत्र शिविर लगाकर उपलब्ध कराये। 

योगी ने कहा कि प्रदेश में जिस संख्या में बैंक की शाखाएं होनी चाहिए थी, वह नहीं हैं। वर्तमान में यहां 16,583 बैंक शाखाएं हैं, जिनमें 8,176 ग्रामीण शाखाएं हैं। प्रदेश में प्रति बैंक शाखा जनसंया का औसत लगभग 12,000 है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह औसत लगभग 9,000 है। इसी प्रकार प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति बैंक शाखा जनसंख्या का औसत लगभग 21,000 है, जबकि अखिल भारतीय स्तर पर यह औसत लगभग 17,400 है। इस प्रकार अखिल भारत की तुलना में उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखायें अपर्याप्त हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने एवं प्रदेश के अन्तिम व्यक्ति तक बैंकिंग सेवाओं की पहुँच को दृष्टिगत रखते हुए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक बैंक शाखायें स्थापित करना जरूरी है। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुरूप आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में अधिक से अधिक ‘बैंकिंग आउटलेट ‘खोले जाएं, ताकि लोगों को आसानी से बैंकिंग सेवायेंासुविधायें मिल सकें। इस संकल्प की पूर्ति के लिये राज्य सरकार बैंकों को यथा संभव हर सुविधा उपलध कराएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बैंकों एवं बैंकर्स की सुरक्षा हेतु भी संवेदनशील है।

योगी ने कहा कि प्रदेश की अधिकांश आबादी आर्थिक रूप से कृषि पर निर्भर है। राज्य सरकार किसानों के कल्याण एवं उनकी आर्थिक समृद्धि के लिए कृत संकल्पित है, इसलिए कृषि, उद्यान, पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन और सहकारिता को प्रोत्साहित करते हुए किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुना करने का काम शुरू किया गया है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकेगा जब कृषि उत्पादन में वृद्धि हो। इसके लिए किसानों को नयी तकनीक से जोडऩे, कृषि में निवेश के साथ-साथ वैज्ञानिक विधियों को बढ़ाने की दिषा में प्रभावी प्रयास किए जाए। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण तथा अन्य प्रकार के मूल्य संवर्धन कार्य-कलापों को बढ़ाने एवं मण्डियों को आनलाइन जोडऩे पर भी बल दे रही है। योगी ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों को तेजी से बढ़ाते हुए प्रदेश की विकास दर को 10 प्रतिशत तक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, क्योंकि एेसा होने पर ही राज्य के विकास के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

उन्होंने कहा कि राज्य में बैंकों के योगदान की समीक्षा से स्पष्ट है कि बैंकों के ऋण-जमानुपात में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मार्च, 2017 तक लगभग नौ फीसदी की गिरावट आयी है। उत्तर प्रदेश के 18 जनपद एेसे है जिनका ऋण-जमानुपात 40 प्रतिशत से भी कम है जो अधिकाशतया पूर्वांचल से संबंधित हैं। जनपद सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, जौनपुर एवं गाजीपुर का ऋण जमानुपात 25 प्रतिशत से भी कम है। इससे प्रदेश के विकास में क्षेत्रीय असमानता स्पष्ट दिखायी देती है। उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए एक सुदृढ़ कार्ययोजना बना कर इन क्षेत्रों में अधिक से अधिक ऋण वितरित किए जाएं। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना एवं स्टैण्ड-अप इण्डिया योजना के अन्तर्गत भी अपेक्षित ऋण वितरण नहीं किया गया है। प्रदेश में बैंकों की शाखाओं के दृष्टिगत स्टैण्ड-अप इण्डिया योजना के अन्तर्गत यदि एक अनुसूचित जातिाजनजाति के लाभार्थी एवं एक महिला लाभार्थी को ऋण दिया जाय तो, प्रतिवर्ष 33,000 नये उद्यमी प्रदेश के आर्थिक पटल पर तैयार होंगें, जो प्रदेश के सार्थक विकास में अहम भूमिका का निर्वाह करेंगे।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अन्तर्गत बैंकों ने उत्तर प्रदेश में 15 जून, 2017 तक तीन लाख लाभार्थियों को ऋण स्वीकृत किये है। इस प्रकार प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में भी बैंकों ने उत्तर प्रदेश की बड़ी जनसंया के बावजूद कम ऋण वितरण किया है। उन्होंने बैंकों से इन दोनों योजनाओं के अन्तर्गत लाभार्थियों की जरूरतों के अनुरूप अधिक से अधिक ऋण वितरण करने की अपेक्षा की। 

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