विधानसभा स्पीकर के फैसले से नाराज बाबूलाल मरांडी की फिसली जुबान, किया अभद्र भाषा का इस्तेमाल

Edited By prachi,Updated: 23 Feb, 2019 07:31 PM

babulal marandi angry decision of assembly speaker used abusive language

पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी (Former Chief Minister and JVM Minister Supremo Babulal Marandi) ने बीजेपी और झारखंड विधानसभा स्पीकर (BJP and Jharkhand assembly speaker) पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उनकी जुबान फिसल गई और वह...

रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी (Former Chief Minister and JVM Minister Supremo Babulal Marandi) ने बीजेपी और झारखंड विधानसभा स्पीकर (BJP and Jharkhand assembly speaker) पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उनकी जुबान फिसल गई और वह अभद्र भाषा (abusive language) का इस्तेमाल कर गए। उन्होंने दलबदल मामले पर आए फैसले पर कहा कि जब संविधान के दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule of Constitution) को मानना ही नहीं था तो चार साल तक समय क्यों बर्बाद किया गया।

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बीजेपी के लोग अपने आप को बड़े अकलमंद समझते हैं और झारखंड की जनता को बेवकूफ समझते हैं क्या? उन्होंने कहा कि जब संविधान के दसवीं अनुसूची का पालन नहीं करना है तो फिर बीजेपी को दसवीं अनुसूची को जला देना चाहिए। बाबूलाल ने बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र राय और झाविमो के बागी विधायकों (Ravindra Rai, the then state BJP president and rebel legislators of JVM) की ओर से विधानसभा स्पीकर को लिखे पत्र का भी जिक्र किया।

दरअसल, 2014 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद फरवरी 2015 (February 2015) में झारखंड विकास मोर्चा (Jharkhand Vikas Morcha) के 6 विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। उन विधायकों में आलोक चौरसिया, अमर बाउरी, रणधीर सिंह, जानकी यादव, गणेश गंझू और नवीन जयसवाल (Alok Chaurasia, Amar Bauri, Randhir Singh, Janaki Yadav, Ganesh Ganjhu and Naveen Jaiswal) के नाम शामिल हैं। इनमें से दो मौजूदा सरकार में मंत्री हैं, जबकि 3 अलग-अलग बोर्ड और निगम में शीर्ष पद पर तैनात हैं। वहीं, अन्य एक को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है।

2015 में दलबदल विधायकों के खिलाफ झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने स्पीकर के यहां शिकायत दर्ज कराई थी। साथ ही उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। जून 2017 तक इस मामले में गवाही पूरी हुई और 12 दिसंबर 2018 (December 12, 2018) को इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी और 20 फरवरी 2019 (20 February 2019) को स्पीकर दिनेश उरांव (Speaker Dinesh Uraon) ने झाविमो के विधायकों के बीजेपी में विलय को सही करार दिया था।

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