Edited By Deepika Rajput,Updated: 22 Dec, 2018 06:57 PM
बिहार सरकार व्यवस्था को सुधारने के चाहे जितने दावे कर ले मगर सच्चाई कुछ और ही सामने आती है। सरकारी व्यवस्था की पोल खोलने वाली एक ऐसी खबर बिहार के नवादा जिले से सामने आई है। जहां एक सेंटर पर परीक्षा देने पहुंचे परीक्षार्थी अपने साथ इमरजेंसी लाइट लेकर...
नवादा: बिहार सरकार व्यवस्था को सुधारने के चाहे जितने दावे कर ले मगर सच्चाई कुछ और ही सामने आती है। सरकारी व्यवस्था की पोल खोलने वाली एक ऐसी खबर बिहार के नवादा जिले से सामने आई है। जहां एक सेंटर पर परीक्षा देने पहुंचे परीक्षार्थी अपने साथ इमरजेंसी लाइट लेकर पहुंचे। इस सेंटर पर एनआईओएस की डीएलएड की परीक्षा चल रही है। इस परीक्षा में सरकारी और प्राइवेट स्कूल के प्रशिक्षु शिक्षकों ने भाग लिया।
मामला नवादा के सत्येंद्र हाईस्कूल का है, जहां इन दिनों डीएलएड की परीक्षा हो रही है। सत्येंद्र नारायण सिन्हा इंटर विद्यालय में दर्जनों परीक्षार्थियों को अंधेरे की वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इस परीक्षा केंद्र पर अनेकों परीक्षार्थी इमरजेंसी लाइट की रोशनी के सहारे परीक्षा देते नजर आए। डीएलएड की यह लिखित परीक्षा दोपहर दो बजे शुरू हुई। कुछ ही देर बाद परीक्षा केंद्र के कई कमरों में अंधेरा छा गया। इसके बाद परीक्षार्थियों को रोशनी के लिए इमरजेंसी लाइट और मोमबत्तियों का सहारा लेना पड़ा।
परीक्षार्थियों ने बताया कि पहले दिन की परीक्षा में उन्हें रोशनी के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इसलिए अगले दिन की परीक्षा में सभी इमरजेंसी लाइट साथ लेकर आए थे। स्कूल प्रबंधन का साफ कहना है कि व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए उनके पास राजस्व की कमी है, लिहाजा परीक्षार्थियों को खुद यह व्यवस्था करनी पड़ी।
इस पूरे मामले पर केंद्र अधीक्षक का कहना है कि बिजली के लिए विभाग को आवेदन दिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए परीक्षार्थी अपने साथ इमरजेंसी लाइट लेकर पहुंचे।