कानपुर में सामने आया विक्रम कोठारी से भी बड़ा घोटाला

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Mar, 2018 07:54 AM

कानपुर में ही एक बार फिर रोटोमैक के विक्रम कोठारी से भी बड़ा घोटाला सामने आया है। डा. एम.पी. अग्रवाल की कम्पनी श्री लक्ष्मी कॉट्सन लि. ने 16 बैंकों से 3972 करोड़ ऋण लिया था और अब यह कंपनी डिफाल्टर हो गई है।

कानपुर: कानपुर में ही एक बार फिर रोटोमैक के विक्रम कोठारी से भी बड़ा घोटाला सामने आया है। डा. एम.पी. अग्रवाल की कम्पनी श्री लक्ष्मी कॉट्सन लि. ने 16 बैंकों से 3972 करोड़ ऋण लिया था और अब यह कंपनी डिफाल्टर हो गई है।

जानकारी के अनुसार अग्रवाल की कंपनी ‘श्री लक्ष्मी कॉट्सन’ टैक्सटाइल और डिफैंस मैटीरियल बनाती है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी पर सैंट्रल बैंक ऑफ  इंडिया के 3904 करोड़ और यूको बैंक के 65 करोड़ जबकि आई.एफ .सी.एल. के 5 करोड़ का बकाया बताया जा रहा है। कंपनी की 4 फैक्टरियां मलवां, औंग, अभयपुर और रेवाड़ी बुजुर्ग में हैं। रजिस्टर्ड ऑफिस कृष्णापुर में है। दरअसल लक्ष्मी कॉट्सन पर 16 बैंकों के अरबों रुपए एन.पी.ए. के रूप मे फंस गए हैं। जिसके बाद कर्ज देने वाले कंसोर्टियम की तरफ  से सैंट्रल बैंक ने अरबों की वसूली के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है।

4 साल पहले ही घाटे में जाना शुरू हो गई थी श्री लक्ष्मी कॉट्सन लि.
बताया जा रहा है बैंक डिफॉल्ट में यह विक्रम कोठारी से भी बड़ा मामला है। कोठारी पर 3695 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। यह आंकड़ा खुद श्री लक्ष्मी की 31 मार्च 2017 की बैलैंस शीट बता रही है। कंपनी टैक्सटाइल के 20 उत्पादों के अलावा वाहनों को ब्लास्ट प्रूफ भी बनाती है। करीब 4 साल पहले कंपनी घाटे में जाने लगी थी लेकिन बाद में आर्थिक मंदी के चलते कंपनी पर बोझ बढ़ता चला गया और धीरे-धीरे कंपनी का एक्युमिलेटेड लॉस बढ़कर पूंजी का कई गुना हो गया। यही वजह रही कि कंपनी के दोबारा उठने की संभावना खत्म हो गई।

कंपनी पर ऋण परिसंपत्तियों से ज्यादा
बताते चलें कि कंपनी का मौजूदा घाटा 1646.12 करोड़ रुपए है। दीर्घ अवधी का लोन 2406 करोड़ रुपए है जबकि शार्ट टर्म लोन 937 करोड़ रुपए है। अगर बैलैंस शीट की बात करें तो इतने बड़े ऋण की रिकवरी के लिए कंपनी के कुल एसेट्स (परिसंपत्तियां) मात्र 1495 करोड़ रुपए ही है। बैलैंस शीट के मुताबिक कंपनी के पास बैंकों में कुल 2.54 करोड़ रुपए ही जमा हैं, जबकि इसे चलाने के लिए 577 करोड़ रुपए हैं और कुल आय मात्र 311 करोड़ रुपए है। साफ है कि कंपनी की हालत खराब है।

इस मामले में भी बैंक अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह
दरअसल कंपनी को दिया गया ऋण किस मद में खर्च हो रहा है, इसकी निगरानी करना बैंकों की जिम्मेदारी है लेकिन अधिकारी आंख मूंदकर ऋण देते रहे और जनता का पैसा डूबता रहा। इस मामले में भी बैंक अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। श्री लक्ष्मी कॉट्सन को लोन देने वाले बैंकों का सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया कंसोॢटयम का लीड बैंक है। इस कंसोर्टियम में सिंडिकेट बैंक, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ  बड़ौदा, पंजाब नैशनल बैंक, इंडियन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्जिम बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ  कॉमर्स, आई.डी.बी.आई. बैंक, विजया बैंक, कार्पोरेशन बैंक, सारस्वत बैंक और आंध्रा बैंक शामिल हैं।

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