Exclusive: ‘परौंख’ से ‘रायसीना’ तक का सफर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2017 06:24 PM

travel from parochha to raisina

रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 3 लाख 34 हजार 730 वोटों से हरा दिया है। कोविंद को 65 फीसदी वोट मिले हैं।

लखनऊ(हरिओम यादव): रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 3 लाख 34 हजार 730 वोटों से हरा दिया है। कोविंद को 65 फीसदी वोट मिले हैं। महामहिम की इस जंग में पहले से ही रामनाथ कोविंद की जीत पक्की हो चुकी थी, क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सबसे ज्यादा वोटिंग करने वाला संख्याबल बीजेपी समेत संयुक्त दलों का था। लिहाजा वोटिंग महज औपचारिकता भर रह गई थी। यूपी के कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौंख में जन्मे रामनाथ 71 साल की उम्र में देश के पहले नागरिक बने हैं। उनका सफर कैसा रहा है, आईए जानते हैं-

-कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को कानपुर देहात के परौंख गांव में हुआ । 
-उन्होंने कानपुर यूनिवर्सिटी से बीए और एलएलबी की डिग्री हासिल की । 
-कानून की पढ़ाई के बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट से वकालत की शुरुआत की । 

वकालत के वक्त उन्होंने सिविल सर्विसेज की भी परीक्षाएं दी। यही नहीं तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता भी मिली। लेकिन लोअर रैंक की वजह से उन्हें मुख्य सेवा की बजाय एलाइड में चयनित किया गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। 

कोविंद 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव बने। साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के वकील भी रहे। 

वे 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और पहली बार 1991 में घाटमपुर से लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इसके बाद 1994 में बीजेपी ने इन्हें राज्यसभा में भेजा। उन्होंने राज्यसभा में अपने दो कार्यकाल पूरे किए। 2007 के विधानसभा चुनावों में कानपुर की भोगनीपुर सीट से वे फिर चुनावी मैदान में उतरे लेकिन फिर निराशा हाथ लगी। 

कोविंद अपने राजनैतिक जीवन में विवादों से काफी दूर रहे। संवाद के क्षेत्र में पुख्ता होने के बावजूद भी उन्हें मीडिया से दूर ही देखा गया। मुख्यधारा के शोर-शराबे से इतर वे दलितों की लड़ाई लड़ते रहे। वे बीजेपी की एससी-एसटी विंग के अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।  

साल 2015 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। और पिछले महीने एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया। वे पीएम मोदी के करीबी माने जाते रहे हैं। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनका समन्वय सकारात्मक रहा। यही वजह है कि जब एनडीए ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया तो सबसे पहले नीतीश कुमार ने समर्थन देने का एलान कर दिया। कोविंद को लेकर एनडीए में जल्दी सर्वसम्मति बन गई, ये उनकी बेदाग छवि की वजह से ही मुमकिन हुआ। 

रामनाथ कोविंद यूपी के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो देश के राष्ट्रपति बने हैं। इससे पहले मोहम्मद हिदायतुल्ला दो बार अंशकाल के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति रह चुके हैं। वहीं के आर नारायणन के बाद अब वे देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति भी हैं।

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