उत्तराखंड के जन्मदाता के तौर पर सदा याद किए जाएंगे वाजपेयी

Edited By Nitika,Updated: 19 Aug, 2018 04:55 PM

vajpayee will be remembered forever as the father of uttarakhand

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ना केवल उत्तराखंड के जन्मदाता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा बल्कि उन्होंने इस पहाड़ी राज्य की शुरूआती परवरिश भी बहुत खुले दिल से की।

देहरादूनः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ना केवल उत्तराखंड के जन्मदाता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा बल्कि उन्होंने इस पहाड़ी राज्य की शुरूआती परवरिश भी बहुत खुले दिल से की।
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उत्तराखंड के कारण झारखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्य बने
साल 1994 में पृथक राज्य आंदोलन के वृहद रूप ले लेने के बावजूद यहां ऐसा लग रहा था कि अब शायद अलग उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना कभी मूर्त रूप नहीं ले पाएगी, लेकिन 1998 में केंद्र में वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार आने के बाद इस क्षेत्र के लोग फिर से पृथक राज्य का सपना देखने लगे। उसी साल 1998 में केंद्र की वाजपेयी सरकार अलग राज्य के निर्माण के लिए संसद में विधेयक लाई लेकिन सरकार के गिर जाने के कारण यह पारित नहीं हो पाया। अगले साल 1999 में दोबारा सत्तारूढ़ होने पर वाजपेयी सरकार दोबारा यह विधेयक लाई जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया और उत्तराखंड के निर्माण का रास्ता साफ हो गया। यह भी माना जाता है कि उत्तराखंड के कारण ही झारखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्यों के रूप में राजनीतिक नक्शे पर आए।
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उत्तराखंड भाजपा की देनः अजय भट्ट 
भाजपा ने राज्य में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में नारा दिया था ‘अटल ने बनाया, मोदी इसे सवारेंगे’ और इस नारे के साथ चुनाव प्रचार करने पर पार्टी को चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हाथ लगी, जहां भाजपा ने 70 सीटों में से 57 पर कब्जा कर राज्य के इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। कई भाजपा नेता इस सफलता के पीछे इस नारे की लोकप्रियता को मानते हैं। राज्य भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट का इस संबंध में कहना है कि अटलजी और मोदीजी का नाम इतना बड़ा है कि लोगों ने आंखें मूंदकर इस बात को स्वीकार किया कि उत्तराखंड भाजपा की देन है और वहीं इसकी समस्याएं भी दूर करेंगे। 
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विधानसभा चुनावों के बाद वाजपेयी नैनीताल यात्रा पर आए 
साल 2002 में राज्य में हुए प्रथम विधानसभा चुनावों के ठीक बाद मार्च में होली के मौके पर वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल यात्रा पर आए और राजभवन में ठहरे। इस दौरान अपनी पार्टी के कुछ लोगों से नाराजगी के कारण उनका छुट्टी लेने का मन थे। इसी के चलते वह अधिक लोगों से नहीं मिले लेकिन राज्य के प्रथम निवार्चित मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायणदत्त तिवारी से उत्तराखंड को लेकर उन्होंने लंबी बातचीत की। दोनों पुराने मित्रों के बीच हुई इस लंबी बातचीत का परिणाम उत्तराखंड के लिए जबरदस्त सौगात के रूप में सामने आया। अपनी यात्रा के आखिरी दौर में वाजपेयी ने नैनीताल राजभवन में स्वयं एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उत्तराखंड के लिए कई बड़ी घोषणाएं की और यह साबित कर दिया कि वह राजनीति से ऊपर थे।      

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