निकाय चुनाव में मिली हार से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी, एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू

Edited By Nitika,Updated: 25 Nov, 2018 04:48 PM

unrest in congress due to defeat in body elections

उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली विफलता के बाद पार्टी में बेचैनी बढ़ गई है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इन चुनावों के द्वारा अपने लिए संजीवनी ढूंढ रही कांग्रेस में हार का दोष एक दूसरे पर मढ़ने के लिए...

देहरादूनः उत्तराखंड में हाल ही में संपन्न हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिली विफलता के बाद पार्टी में बेचैनी बढ़ गई है। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इन चुनावों के द्वारा अपने लिए संजीवनी ढूंढ रही कांग्रेस में हार का दोष एक दूसरे पर मढ़ने के लिए आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।

हरीश रावत ने प्रीतम सिंह पर फोड़ा हार का ठीकरा 
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने परोक्ष रूप से हार का ठीकरा कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह पर फोड़ दिया। हरीश रावत ने कहा कि निकाय चुनावों के लिए प्रचार से उन्हें ज्यादातर दूर ही रखा गया लेकिन जहां-जहां उन्होंने प्रचार किया, वहां ज्यादातर जगहों से कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। 

प्रीतम सिंह ने हरीश रावत के आरोपों पर दी सफाई 
वहीं दूसरी तरफ प्रीतम सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि हरीश रावत की व्यस्तता के कारण राज्य में उनके ज्यादा कार्यक्रम तय नहीं किए जा सके। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी के कुछ नेता इस हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ना चाहते हैं तो वह यह जिम्मेदारी लेने के लिये तैयार हैं । उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव नतीजों के मंथन में अगर मेरे हिस्से जहर आया तो मैं यह जहर पीने को तैयार हूं। 

इंदिरा ह्रदयेश ने पुत्र की हार के बाद जारी किया बयान 
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और हल्द्वानी की विधायक इंदिरा ह्रदयेश के पुत्र सुमित की हल्द्वानी मेयर पद पर मिली हार भी पार्टी के भीतर एक बड़ा मुद्दा बन गई है। हरीश रावत ने स्वयं को हल्द्वानी से परे रखा और कहा कि उन्हें वहां प्रचार ना कर पाने का दुख रह गया। पुत्र की हार के बारे में इंदिरा का कहना है कि मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई और कई लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए। उनका कहना है कि जिनके नाम हटाए गए उनमें से अधिकतर लोग कांग्रेस समर्थक थे, जिसका नुकसान उनके पुत्र को उठाना पड़ा। 

पार्षदों ने मेयर पद के प्रत्याशियों के लिए नहीं मांगे वोटः इंदिरा हृदयेश 
इंदिरा का कहना है कि हल्द्वानी में अधिकतर पार्षदों को पार्टी के चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ाने के फैसले का खामियाजा भी सुमित को भुगतना पड़ा। उन्होंने कहा कि पार्षदों ने अपने लिए तो वोट मांगे लेकिन मेयर पद के प्रत्याशी रहे सुमित के लिए उन्होंने वोट नहीं मांगे, जिसकी वजह से कई जगह कांग्रेस के पार्षदों और मेयर को पड़े वोटों में भारी अंतर देखा गया।

हरीश रावत ने चुनावों में बड़े शहरों से बनाई दूरीः कांग्रेस
पार्टी का कहना है कि हरीश रावत देहरादून और हल्द्वानी जैसे बड़े शहरों से दूरी बनाए रखते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कुछ नेताओं को उनका वहां जाना पसंद नहीं आता और वह असहज हो जाते हैं। राज्य में 18 नवंबर को हुए नगर निकाय चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए देहरादून के मेयर पद सहित 34 निकायों के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। कांग्रेस को 25 निकाय अध्यक्ष पदों पर विजय मिली जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों ने 23 निकाय अध्यक्ष पदों पर कब्जा कर दोनों प्रमुख दलों को स्तब्ध कर दिया। 

टिकट वितरण के लिए पार्टी में किया गया व्यापक विचार विमर्शः कांग्रेस उपाध्यक्ष 
कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस संबंध में कहा कि टिकट वितरण के लिए पार्टी में व्यापक विचार विमर्श किया गया था। धस्माना ने कहा कि पार्टी में व्यापक रूप से विचार विमर्श के बाद निर्णय लिए गए और हमारा मानना है कि हमारा प्रदर्शन भी बेहतर ही रहा। 

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