Edited By Nitika,Updated: 10 Jun, 2018 06:33 PM
उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने राज्य की सबसे ज्यादा प्रदूषित और गंदे नाले में तब्दील हो गई रिस्पना नदी को जनता, सेना और स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है
देहरादून: उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने राज्य की सबसे ज्यादा प्रदूषित और गंदे नाले में तब्दील हो गई रिस्पना नदी को जनता, सेना और स्वयं सेवी संस्थाओं के सहयोग से पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है लेकिन नदियों को साफ करने की अब तक की कोशिशों की जो हालत है उसे देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि यह काम काफी मुश्किल है।
रिस्पना गंगा की एक अत्यंत प्रदूषित सहायक नदी
रिस्पना अगर प्रदूषण-मुक्त हो जाती है तो इसका सीधा असर गंगा पर पड़ेगा जिसे साफ करना केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। रिस्पना गंगा की एक अत्यंत प्रदूषित सहायक नदी है जो मसूरी से शुरू होकर देहरादून से बहती हुई बिंदाल नदी से मिलकर हरिद्वार में गंगा में विलीन हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्राचीन समय में ऋषिपर्णा के नाम से विख्यात रिस्पना को प्रदूषित तत्वों से विहीन करने के लिए कई कठोर कदम उठाने सहित सभी प्रकार के प्रयास करने होंगे। इन कदमों में से सबसे मुश्किल काम देहरादून में रिस्पना के दोनों किनारों पर बसी घनी बस्तियां है जिनका मल-मूत्र सीधा रिस्पना में जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने की आम जनता से सहयोग देने की अपील
वहीं दूसरी तरफ नदियों को पुनर्जीवित करने की अपनी ढृढ इच्छाशक्ति दिखाते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मिशन ‘ ऋषिपर्णा से रिस्पना’ शुरू किया है और इसकी जिम्मेदारी सरकारी संस्थाओं पर डालते हुए गैर सरकारी संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं, सेना के अतिरिक्त आम जनता से भी इसमें सक्रिय सहयोग देने की अपील की है ।