Edited By Deepika Rajput,Updated: 18 May, 2019 03:22 PM
बहुचर्चित करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में एक माह की लुकाछुपी के बाद आखिरकार समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अनुराग शंखधर पुलिस के हत्थे चढ़ ही गए। गुरूवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसआईटी के सामने पेश हुए शंखधर से हरिद्वार में करीब 7 घंटे...
हरिद्वार: बहुचर्चित करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले में एक माह की लुकाछुपी के बाद आखिरकार समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अनुराग शंखधर पुलिस के हत्थे चढ़ ही गए। गुरूवार को हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसआईटी के सामने पेश हुए शंखधर से हरिद्वार में करीब 7 घंटे पूछताछ की गई। पद के दुरुपयोग समेत भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे शंखधर ने अपने बचाव के लिए हर रास्ता तलाशा। गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से वकीलों की टीम बुला ली, लेकिन वे ऐसा कोई आदेश नहीं दिखा सके जिससे गिरफ्तारी रुक पाती। अब उन पर निलंबन की तलवार भी लटक चुकी है।
इससे पहले गुरूवार को राज्य सरकार ने शंखधर से समाज कल्याण विभाग के तहत जनजाति कल्याण निदेशालय में आइटी सेल के नोडल अधिकारी का चार्ज भी हटा दिया और संयुक्त निदेशक योगेंद्र रावत को जिम्मा सौंपा। हालांकि, रावत ने चार्ज लेने से मना कर दिया। सरकार ने शंखधर से अनुपस्थित रहने का कारण भी पूछा है। हरिद्वार और देहरादून जनपद में करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में जांच कर रही एसआईटी द्वारा समाज कल्याण विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों को एक माह पूर्व नोटिस जारी किए गए थे, जिसके बाद एक रिटायर्ड अधिकारी सहित हरिद्वार जिले के 5 सहायक समाज कल्याण अधिकारियों ने एसआईटी के सामने पेश होकर सवालों के जवाब दिए थे, मगर हरिद्वार व देहरादून में तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी रहे अनुराग शंखधर ने ऐसा नहीं किया।
एसआईटी ने उनके दून व हरिद्वार स्थित आवासों पर नोटिस भी चस्पा किए। बचने के लिए शंखधर ने हाईकोर्ट में दस्तक दी पर राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने उन्हें 10 दिन के भीतर एसआइटी के सामने पेश होने का आदेश था। बिना बताए करीब एक माह से अनुपस्थित चल रहे शंखधर ने बुधवार को पहले ज्वाइनिंग दी और गुरूवार को रोशनाबाद, हरिद्वार में एसआइटी दफ्तर पहुंचे। यहां एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी समेत एएसपी आयुष अग्रवाल ने शंखधर से लंबी पूछताछ की।