Edited By Nitika,Updated: 17 Jun, 2018 02:24 PM
उत्तराखंड के कई जिलों में पिछले 3 दिनों से पहाड़ों पर धुंध छाई हुई है। इसके कारण जहां एक तरफ पहाड़ों पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ धूल के गुबार से दमा और एलर्जी के मरीजों की परेशानियां बढ़ने लगी है।
नैनीतालः उत्तराखंड के कई जिलों में पिछले 3 दिनों से पहाड़ों पर धुंध छाई हुई है। इसके कारण जहां एक तरफ पहाड़ों पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ धूल के गुबार से दमा और एलर्जी के मरीजों की परेशानियां बढ़ने लगी है।
मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ों पर भले ही रुक-रुककर बारिश हो रही है लेकिन पीली मिट्टी ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी है। उन्होंने बताया कि बाहरी राज्यों से धूल का गुबार आंधी के रूप में आ रहा है, उसके साथ पहाड़ों की मिट्टी मिलकर इस धुंध को नया रूप दे रही है। राज्य में जब तक तेज और मूसलाधार बारिश नहीं होती, तब तक धुंध के बने रहने के आसार है। इसके कारण पहाड़ों से लगातार हरियाली कम होती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इसी तरह से धुंध का प्रभाव बना रहा तो आने वाले दिनों में पौधों में होने वाले वाष्पोत्सर्जन सहित अन्य क्रियाओं पर भी इसका गहरा असर देखने को मिलेगा।
डॉक्टरों ने धूल के इस गुबार को दमा, एलर्जी और अस्थमा के मरीजों के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के मरीजों को धूल से बचने की जरुरत है नहीं तो धूल के कारण अस्थमा और दमे के दौरे आने की संभावना बनी रहती है। इसके अतिरिक्त आम जनता भी इस धुंध का बचाव कर रही है। धुंध से बचाव करने के लिए मास्क का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ-साथ वाहन चलाते समय हेमलेट और सटॉल का प्रयोग कर रहे हैं।