Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 May, 2018 07:03 PM
गंगा तट पर स्थित परमार्थ निकेतन में सादगी और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ रूस के सोची शहर से आया जोड़ा विवाह सूत्र में बंध गया। इस दौरान परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर रूस्लान और वधू वेलोवाइवा को पर्यावरण संरक्षण का...
ऋषिकेश: गंगा तट पर स्थित परमार्थ निकेतन में सादगी और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ रूस के सोची शहर से आया जोड़ा विवाह सूत्र में बंध गया। इस दौरान परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वर रूस्लान और वधू वेलोवाइवा को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया। दोनों को एक ही माला पहनाकर ‘दो शरीर-एक प्राण’ की तरह जीने का संदेश दिया।
विवाह के लिए रूस से ऋषिकेश के तट पर स्थित परमार्थ गंगा में इस जोड़े को भारतीय संस्कृति और संस्कार खींच लाए। भौतिकता से दूर आध्यात्मिक वातावरण में वेद मंत्रों के साथ रूस्लान और वेलोवाइवा ने सात फेरे लेकर रूसी संस्कृति के साथ भारतीय संस्कृति को भी आत्मसात किया। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के अनुयायी अनेक सांस्कृतिक और पांरम्परिक उत्सव मनाते हैं। उन सब में विवाहोत्सव प्रमुख होता है। विवाह में केवल दो दिलों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मेल होता है।
आज गंगा तट पर दुनिया के दो देशों की संस्कृतियों का मिलन हो रहा है। यह एक ऐतिहासिक अवसर है, जब लोग गोवा के तट को छोड़कर गंगा के तट पर आ रहे हैं। नवविवाहित रूस्लान और वेलोवाइवा ने कहा कि हम मां गंगा के तट से संकल्प लेकर जाएंगे कि जहां भी जाएंगे, पर्यावरण संरक्षण का संदेश और पौधरोपण को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाएंगे।