चमोली आपदा पर बोले NDRF कमांडेंट- अंतिम पीड़ित की तलाश तक जारी रहेगा बचाव अभियान

Edited By Nitika,Updated: 17 Feb, 2021 03:50 PM

rescue operations will continue till the last victim is reached

उत्तराखंड में 10 दिन पहले आई विकराल बाढ़ के बाद लापता लोगों के जीवित होने की क्षीण होती संभावनाओं के बीच एनडीआरएफ के कमांडेंट पीके तिवारी ने कहा कि आपदा प्रभावित जलविद्युत परियोजना स्थलों पर तलाश और बचाव अभियान अंतिम पीड़ित तक पहुंचने तक जारी रहेगा...

 

तपोवनः उत्तराखंड में 10 दिन पहले आई विकराल बाढ़ के बाद लापता लोगों के जीवित होने की क्षीण होती संभावनाओं के बीच एनडीआरएफ के कमांडेंट पीके तिवारी ने कहा कि आपदा प्रभावित जलविद्युत परियोजना स्थलों पर तलाश और बचाव अभियान अंतिम पीड़ित तक पहुंचने तक जारी रहेगा क्योंकि ‘‘चमत्कार होते हैं।''
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आपदा में लापता या फंसे लोगों के जीवित बचने की संभावनाओं के संबंध में पूछे जाने पर कमांडेंट तिवारी ने कहा कि इस बारे में वह विश्वास से कुछ नहीं कह सकते लेकिन ‘चमत्कार होते हैं।' तिवारी ने बताया, ‘‘हिमाचल प्रदेश में इसी तरह की एक त्रासदी में हमें 10 वें दिन एक जीवित व्यक्ति मिला था। चमत्कार होते हैं। सुरंग में लाखों मीट्रिक टन गाद भरी हुई है। लेकिन एक सिपाही और एक बचावकर्मी के रूप में मैं केवल इतना कह सकता हूं कि अंतिम पीड़ित तक पहुंचने तक अभियान जारी रहेगा।''

एनटीपीसी के क्षतिग्रस्त 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना की तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए जारी तलाश और बचाव को अनोखा बताते हुए तिवारी ने कहा कि गाद और मलबा साफ करने की कवायद में अगर एक साल नहीं तो कम से कम महीनों लग सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सुरंग 4 किलोमीटर लंबी है। हम इसके अंदर 160-165 मीटर तक पहुंचे हैं और उसके आगे जाना है। निर्माण में आठ-दस साल लेने वाली सुरंग से मलबा साफ करने में एक साल नहीं तो महीनों तो लग ही सकते हैं।'' इनटेक आडिट टनल के समानांतर स्थित निचली सुरंग में छेद करने के बारे में तिवारी ने कहा कि कैमरे की मदद से फंसे हुए लोगों को ढूंढने की उम्मीद में छेद किया जा रहा था। इनटेक आडिट टनल से ही शव बरामद हो रहे हैं।
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तिवारी ने कहा कि हालांकि बाद में यह अहसास हुआ कि जिस सुरंग में 25-35 व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका है, वह भी गाद और मलबे से बुरी तरह भरी पड़ी है। उन्होंने कहा कि सुरंग में जब भी कोई शव मिलता है तब भी बचाव अभियान को कुछ देर रोकना पड़ता है, जिससे क्षतविक्षत शव को और ज्यादा नुकसान न पहुंचे। हालांकि, उन्होंने कहा कि आपदाग्रस्त रैंणी गांव में तबाह हो गई ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना में बचाव अभियान लगभग पूरा होने को है।
 

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