आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री रावत हो बर्खास्तः नेगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Aug, 2017 11:38 AM

report of the commission chief minister sacked negi

जनसंघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने ढैंचा बीज घोटाले मामले में त्रिपाठी आयोग की जाॅंच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बर्खास्तगी की मांग को.....

विकासनगरः जनसंघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने ढैंचा बीज घोटाले मामले में त्रिपाठी आयोग की जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बर्खास्तगी की मांग को लेकर तहसील विकासनगर में जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन ने पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव कर महामहिम राज्यपाल का सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम जितेन्द्र कुमार को सौंपा।

घेराव के दौरान रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वर्ष 2010 में कृषि मन्त्री रहते हुए 9680 कुंटल ढैंचा बीज की मांग के सापेक्ष 15000 कुंटल ढैंचा बीज की खरीद हेतु आदेश पारित किए तथा उक्त बढ़ी हुई मांग की समुचित प्रक्रिया अपनाए अनुमोदन कर दिया। उक्त बीज मिलीभगत कर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से 3839/-कुंटल की दर से खरीदा गया जबकि वही बीज कृषि उत्पादन मण्डी समिति हरिद्वार अथवा खुले बाजार में उस वक्त 1538/-कुंटल की दर पर उपलब्ध था।

उक्त ढैंचा बीच निधि सीड्स कारपोरेशन नैनीताल से खरीदा गया जबकि राज्य/ केन्द्रीय एजेन्सियों के पास पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध था। उक्त बीज खरीद की रवानगी निधि सीड्स द्वारा ट्रकों से दर्शायी गयी जबकि दर्शाए गए अधिकांश ट्रकों की आमद/एंट्री व्यापार कर चैकियों में कहीं भी दर्ज नहीं है। उक्त पूरे घोटाले की लीपापोती में अपनी गर्दन फंसी देखकर तत्कालीन कृषि मन्त्री रावत ने कृषि अधिकारियों के निलम्बन के आदेश पारित किए तथा बाद में उनका निलम्बन निरस्त कर दिया। यह उल्लेख किया कि इन अधिकारियों के निलम्बन से कृषि योजनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

मामले में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एससी त्रिपाठी जांच आयोग गठित किया। जिसमें ढैंचा बीज घोटाले की जांच हेतु निर्देशित किया गया। उक्त मामले की गहन जांच के उपरांत त्रिपाठी जांच आयोग द्वारा तत्कालीन कृषि मंत्री रावत के खिलाफ 3 बिन्दुओं पर कार्यवाही की सिफरिश की। जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन एवं फिर उस आदेश की पलटना, सचिव, कृषि की भूमिका की जांच बिजीलेंस से कराए जाने के मामले में अस्वीकृती दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किए बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन माना है।

आयोग की सिफारिश को 3 बार सदन में रखा जा चुका है जिसमें कमेटी गठित कर गहन परीक्षण करने के निर्देश कैबिनेट ने दिए। अभी हाल ही में कैबिनेट द्वारा इस मामले में रावत को क्लीन चिट दी है। जबकि बिना जांच कराए आनन-फानन में रावत को फायदा पहुंचाने के लिए यह किया गया, जबकि गम्भीर पहलू यह है कि यह जानते हुए कि मामला उच्च न्यायालय में लम्बित है।

जनसंघर्ष मोर्चा महामहिम राज्यपाल से मांग करता है कि त्रिपाठी जांच आयोग की सिफारिश के आधार पर रावत को मुख्यमन्त्री पद से तत्काल बर्खास्त करें। घेराव के दौरान मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मौ0 असद, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, चौधरी मामराज, जयदेव नेगी, भीम सिंह बिष्ट, रवि भट्टनागर, प्रवीण शर्मा पिन्नी, मौ. इस्लाम, मदन सिंह, विमला आर्य, रियासत अली, हाजी जामिन, हाजी फरहाद आलम, सचिन कुमार, सलीम मिर्जा, इसरार, जयकृत नेगी, मौ. आशिफ, गजपाल रावत, अरूण थपलियाल आदि थे।

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