मरीज की पर्ची पर दवा और बीमारी का नाम प्रिंट करना जरूरीः हाईकोर्ट

Edited By Deepika Rajput,Updated: 15 Sep, 2018 11:34 AM

patients slip the name of drug and disease need to be printed high court

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों को जांच की दरें समान करके अस्पतालों से जेनेरिक दवाएं ही दिए जाने संबंधित आदेश को चुनौती देती याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसकी के साथ ही मरीज की पर्ची में कंप्यूटर से इलाज के लिए...

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों को जांच की दरें समान करके अस्पतालों से जेनेरिक दवाएं ही दिए जाने संबंधित आदेश को चुनौती देती याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसकी के साथ ही मरीज की पर्ची में कंप्यूटर से इलाज के लिए दी जाने वाली दवा और बीमारी का नाम अंकित करने का आदेश पारित किया है। 

कोर्ट ने कहा कि इससे आम मरीज को भी अपनी बीमारी और दवा के बारे में आसानी से जानकारी हो सके। कोर्ट ने प्रत्येक चिकित्सक को कंप्यूटर और प्रिंटर उपलब्ध होने तक दवा का नाम अंग्रेजी के कैपिटल अक्षर में अंकित कर देने को कहा है। बता दें कि, हिमालयन मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट, सिनर्जी हॉस्पिटल की ओर से यह पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी, जिसमें 14 अगस्त को पारित आदेश पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना की गई थी। इस आदेश में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के विपरीत संचालित अस्पतालों को बंद करने के निर्देश दिए थे। 

सुनवाई में कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए सरकारी और प्राइवेट चिकित्सकों को निर्देश दिए कि मरीजों की पर्ची में बीमारी का नाम और दवा कंप्यूटर प्रिंटेड हो। सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि राज्य के सभी चिकित्सकों को कंप्यूटर प्रिंटर आदि उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है, लिहाजा उनको समय दिया जाए। इस तर्क से सहमत होते हुए कोर्ट ने कहा कि इसे प्रभावी करने में कम से कम समय लिया जाए। 

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