बाघों की सुरक्षा मामला: शीर्ष वन अधिकारी उत्तराखंड HC में हुए पेश

Edited By Deepika Rajput,Updated: 13 Apr, 2019 05:16 PM

officer present in uttarakhand high court

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन को बाघों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा 2007 से अब तक उठाए गए कदमों के बारे में 23 अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रमुख सचिव वन आनंद वर्धन को बाघों की सुरक्षा और रखरखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा 2007 से अब तक उठाए गए कदमों के बारे में 23 अप्रैल तक रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। आनंद वर्धन को कोर्ट ने ये निर्देश तब दिए जब वह व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के सामने पेश हुए।

मामले के संबंध में प्रश्नों का जवाब देने के लिए कोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं होने के बाद उच्च न्यायालय ने वर्धन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था। वारंट को रद्द करते हुए कोर्ट ने वर्धन को बाघों की सुरक्षा और संरक्षण के बारे में 2007 में केंद्र द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में राज्य द्वारा उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इससे पूर्व, मामले में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य में बाघों की संख्या गिरती जा रही है, लेकिन राज्य सरकार वन्यजीव तस्करों और शिकारियों से बाघों को बचाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यामूर्ति एनएस धनिक ने इस पर राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा था।

अपने जवाब में राज्य सरकार ने कहा था कि केंद्र सरकार के 2007 में दिए गए निर्देशों का पालन करने के आदेश विभिन्न विभागों को दिए गए हैं। इन निर्देशों में बाघों की संख्या पर नजर रखना, बाघ सरंक्षण बल की स्थापना करना और सीसीटीवी कैमरा लगाना शामिल था। इस जवाब पर कोर्ट ने प्रमुख सचिव वन को पेश होने तथा प्रश्नों के उत्तर देने को कहा था।

 

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