Edited By Nitika,Updated: 21 May, 2019 06:11 PM
उत्तराखंड में स्थित पंच केदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट आज विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं। इसके बाद अब अगले 6 महीने के लिए भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना ग्रीष्मकालीन गद्दीस्थल पर ही की जाएगी।
रुद्रप्रयागः उत्तराखंड में स्थित पंच केदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट आज विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं। इसके बाद अब अगले 6 महीने के लिए भगवान मद्महेश्वर की पूजा-अर्चना ग्रीष्मकालीन गद्दीस्थल पर ही की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली 19 मई को अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से निकलकर अपने अंतिम पड़ाव गौंडार गांव से धाम पहुंच गई है। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ 11 बजकर 10 मिनट पर भगवान मद्महेश्वर के कपाट खोल दिए गए।
बता दें कि भगवान मद्दमहेश्वर धाम की अपनी अलग ही महिमा है। इस धाम से जुड़ी विभिन्न पौराणिक मान्यताएं और वर्जनाएं का निर्वहन आज भी पूरे मनोयोग से किया जाता है। इस धाम की एक विशेष मान्यता यह है कि यहां भगवान की उत्सव डोली सीधे मंदिर में प्रवेश नहीं करती बल्कि शंख की ध्वनि बनजे के बाद ही उत्सव डोली धाम में प्रवेश करती हैं। इस प्रक्रिया के दौरान धाम के एक किमी के दायरे में भण्डा बाद ढोल और दमाऊ बजाना भी पूरी तरह से वर्जित है।