Edited By Deepika Rajput,Updated: 15 Sep, 2018 01:09 PM
करीब 1963-64 के आसपास बना जोशियाड़ा मोटर पुल अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी खंड ने पुल के एक छोर पर पोस्टर चस्पा कर आवाजाही करने वाले लोगों को सचेत तो कर दिया है कि 16.2 टन से अधिक का भार न ले जाएं। लेकिन दूसरा जब कोई विकल्प...
उत्तरकाशीः करीब 1963-64 के आसपास बना जोशियाड़ा मोटर पुल अपनी बदहाली के आंसू रो रहा है। लोक निर्माण विभाग भटवाड़ी खंड ने पुल के एक छोर पर पोस्टर चस्पा कर आवाजाही करने वाले लोगों को सचेत तो कर दिया है कि 16.2 टन से अधिक का भार न ले जाएं। लेकिन दूसरा जब कोई विकल्प ही न हो तो वाहन चालक क्या करें।
लंबगांव-उत्तरकाशी मोटर मार्ग पर बना यह पुल जनपद मुख्यालय की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। जनपद की आवाजाही के साथ केदारनाथ यात्रा का भी यह मुख्य पुल है। वर्ष 1978 की बाढ़ के बाद 1991 का भूकंप और 2012-13 की आपदा झेल चुका यह पुल अपनी मियाद भी खत्म कर चुका है। लोनिवि हर वर्ष पुल रिपेयरिंग के नाम पर लाखों खर्च करती है लेकिन विगत कुछ वर्षों से विभाग की लापरवाही के कारण जोशियाड़ा मोटर पुल की स्थिति जर्जर हालत में ही है।
प्रशासन का कहना है कि किसी भी स्थिति को देखते हुए पुल के दोनों और पुलिस बल तैनात है। जोकि कभी कभार पखवाड़े में पुल के समीप नजर आते हैं।