Edited By Nitika,Updated: 24 Jul, 2019 10:21 AM
उत्तराखंड में नैनीताल हाीकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में सरकार को रुड़की नगर निगम और देहरादून स्थित सेलाकुईं नगर पंचायत के चुनाव 2 महीने के अंदर करवाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने रुड़की नगर निगम के विस्तार से संबंधित अधिसूचना को भी निरस्त कर दिया...
नैनीतालः उत्तराखंड में नैनीताल हाीकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में सरकार को रुड़की नगर निगम और देहरादून स्थित सेलाकुईं नगर पंचायत के चुनाव 2 महीने के अंदर करवाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने रुड़की नगर निगम के विस्तार से संबंधित अधिसूचना को भी निरस्त कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने मंगलवार को हुई सुनवाई में यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने सरकार को 2015 के परिसीमन के आधार पर चुनाव कराने के निर्देश दिये हैं। इससे पहले नैनीताल हाईरकोर्ट ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था। मामले को कोर्ट में रुड़की नगर निगम के पूर्व महापौर यशपाल राणा के अतिरिक्त 4 अन्य याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि सरकार ने 2015 में एक अधिसूचना जारी कर रुड़की नगर निगम में 2 गांवों रामपुर और पाडली गुर्जर को शामिल किया था लेकिन इसके बाद सरकार ने 6 दिसंबर 2018 को दोबारा अधिसूचना जारी कर इन दोनों गांवों को नगर निगम से बाहर कर दिया और 3 अन्य गांवों मोहम्मदपुरा, आसफनगर और साउथ सिविल लाइंस को निगम की सीमा में शामिल कर लिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि 2 गांवों को पहले शामिल किया गया और उसके बाद गैर कानूनी तरीके से बाहर कर दिया गया। बाहर करने से पहले गांवों की जनता को कोई उचित कारण भी नहीं बताया गया। इसके बाद अदालत ने सरकार के 6 दिसंबर 2018 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया। इससे निगम की परिधि से बाहर हुए 2 गांवों को राहत मिली है।
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर पिछले साल अंत में राज्य के सभी निकायों के चुनाव सम्पन्न हो गए थे लेकिन रुड़की नगर निगम के अतिरिक्त श्रीनगर, बाजपुर और सेलाकुईं निकायों के चुनाव नहीं हो पाए थे। इसके बाद कोर्ट ने 31 अगस्त 2019 को श्रीनगर और बाजपुर नगर पालिका के चुनाव जुलाई के दूसरे सप्ताह तक सम्पन्न करवाने के आदेश सरकार को दिए थे। श्रीनगर और बाजपुर नगर पालिकाओं के चुनाव इसी महीने के शुरू में सम्पन्न हुए हैं, जिसमें दोनों निकायों के अध्यक्षों के चुनाव में सत्तारुढ़ भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है।