Edited By Nitika,Updated: 21 Oct, 2018 06:44 PM
उत्तराखंड राज्य के निर्माण के शुरूआती वर्षों में तत्कालीन ग्राम्य विकास आयुक्त रघुनंदन सहाय टोलिया ने भांग की औद्योगिक खेती की परिकल्पना की थी। इसके लिए उन्होंने एक शासनादेश जारी करते हुए पॉयलट परियोजना के तौर पर गढ़वाल और कुमांऊ के दूरस्थ क्षेत्रों...
देहरादूनः उत्तराखंड राज्य के निर्माण के शुरूआती वर्षों में तत्कालीन ग्राम्य विकास आयुक्त रघुनंदन सहाय टोलिया ने भांग की औद्योगिक खेती की परिकल्पना की थी। इसके लिए उन्होंने एक शासनादेश जारी करते हुए पॉयलट परियोजना के तौर पर गढ़वाल और कुमांऊ के दूरस्थ क्षेत्रों को भांग उत्पादन के लिए उचित बताया।
टोलिया की यह मुहिम उस समय तो कारगर नहीं हुई और उनके मुख्य सचिव पद पर आसीन होने के बाद भी इसे खास तवज्जो नहीं मिल पाई लेकिन बाद में कांग्रेस नेता हरीश रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने औद्योगिक भांग की खेती के प्रयासों को फिर से पंख लगाने की कोशिश की। इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उसे मंजिल तक पहुंचाते हुए औद्योगिक भांग की खेती के लिए राज्य में एक पॉयलट परियोजना की शुरूआत की है।
इस पॉयलट परियोजना के लिए राज्य सरकार ने भारत में भांग की औद्योगिक खेती का पहला लाइसेंस भारतीय औद्योगिक भांग संघ (आईआईएचए) को दिया है। इसके लिए आईआईएचए और राज्य सरकार के बीच 1100 करोड़ रूपए के एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत किए गए हैं जिसमें अगले 5 सालों के दौरान राज्य में औद्योगिक भांग की खेती, भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण आदि क्षेत्रों में निवेश किया जाएगा। यह पॉयलट परियोजना पौडी जिले में बिलखेत नामक गांव में शुरू की गई है जहां साढ़े 3 हैक्टेअर भूमि पर औद्योगिक भांग उगाई जा रही है।