त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए नए दिशा-निर्देश तय करे आयोगः हाईकोर्ट

Edited By Nitika,Updated: 18 Oct, 2019 02:27 PM

hc strict for panchayat elections

उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग को नए दिशा निर्देश तय करने को कहा है। इसके साथ ही मौजूदा नियमावली 17 साल पुरानी हो गई है। इसलिए भ्रष्टाचार के नए स्वरुपों पर लगाम...

नैनीतालः उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए चुनाव आयोग को नए दिशा निर्देश तय करने को कहा है। इसके साथ ही मौजूदा नियमावली 17 साल पुरानी हो गई है। इसलिए भ्रष्टाचार के नए स्वरुपों पर लगाम लगाने के लिए नए नवीनतम दिशा निर्देश तय किए जाने चाहिए।

जानकारी के अनुसार, कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने 67 पेज का फैसला जारी करते हुए सुझाव दिया कि जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लाक प्रमुख के प्रत्यक्ष चुनाव के लिये आयोग को कम से कम समय तय करना चाहिए। यानी चुनाव प्रक्रिया की घोषणा एवं चुनाव की तिथि में कम से कम अंतर होना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग जिला पंचायत एवं क्षेत्र पंचायत सदस्यों के विदेश दौरों और राज्य के रिसॉट्र्स और होटलों में ठहराए जाने की स्थिति में उनके धन के स्रोतों का पता लगा सकता है। सदस्यों के विदेश यात्रा की सत्यापन की पुष्टि उनके पासपोर्ट से की जा सकती है।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि यदि दोनों की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के गंभीर संकेत मिलते हैं तो आयोग के पास चुनाव रद्द करने की शक्ति होनी चाहिए। यदि चुनाव आयोग इसके बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं करता है तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय को अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग याचिका में दिए गए सुझावों पर विचार करेगा और निर्वाचन अधिकारियों के नाम एवं पदनामों के बारे में आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए जाने चाहिए और इनका व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए जिससे आम जनता जागरुक हो सके और भ्रष्ट चुनावी प्रथा के खिलाफ आगे आ सकें। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करवाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन के लिए सक्रिय भूमिका अदा करनी चाहिए। आयोग को इसके लिए लिखित शिकायत प्राप्त होने का इंतजार करने के बजाय सूचना के विभिन्न सूचना स्रोतों पर कार्रवाई अमल में लानी चाहिए।

कोर्ट ने ये सुझाव देहरादून निवासी विपुल जैन एवं आशीर्वाद गोस्वामी की ओर से इसी साल दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए गुरुवार को दिए। अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि याचिका में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों खासकर जिला पंचायत अध्यक्ष एवं क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष के चुनावों में भ्रष्टाचार और अपराध का मुद्दा उठाया गया था। कहा गया था कि इन चुनावों में घूसखोरी और अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जाता है। नेगी ने बताया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से इन दोनों के चुनाव सीधे जनता से करवाने की मांग की गई थी।

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