चमोली आपदा प्रभावित को सहायता राशि देने के मामले में HC ने केन्द्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

Edited By Nitika,Updated: 08 Jun, 2021 04:10 PM

hc seeks response from central and state government

उत्तराखंड के चमोली जिले के रैनी गांव में आई भीषण आपदा के प्रभावित परिवारों को सहायता राशि देेने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 25 जून तक जवाब...

 

नैनीतालः उत्तराखंड के चमोली जिले के रैनी गांव में आई भीषण आपदा के प्रभावित परिवारों को सहायता राशि देेने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 25 जून तक जवाब पेश करने और आपत्ति दर्ज करने को कहा है।

मामले को उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसी साल 7 फरवरी को आई भीषण आपदा में 204 लोग लापता हो गए जबकि 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई लेकिन आज तक आपदा से प्रभावित अधिकांश दिहाड़ी मजदूरों के परिवारों को सहायता राशि या कोई राहत नहीं मिल पाई है। याचिका में कहा गया है कि मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़े से अधिक हो सकती है।

आपदाग्रस्त ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना एवं तपोवन-विष्णुगाड परियोजना में आपदा के दौरान पंजीकृत श्रमिकों के अलावा अनेक ठेका और दिहाड़ी मजदूर भी काम कर रहे थे, जिनका कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा कि हजारों करोड़ रुपए की लागत से निर्माण होने वाली इन परियोजनाओं में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे। श्रमिकों की सुरक्षा के लिए मौके पर अर्ली वार्निंग सिस्टम भी मौजूद नहीं था, जिससे लोगों की जान बच सकती थी। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) की ओर से इस पूरे मामले में लापरवाही बरती गई है।

याचिका में प्रतिवादी कंपनियों के खिलाफ कारर्वाई करने की मांग करते हुए आपदा के वक्त सुरंग के फाटक को खुला रखने और बैराज के फाटक बंद रखने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही दोषी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि नीति घाटी में आये एक अन्य बर्फीले तूफान के बाद सड़क निर्माण में लगे 384 श्रमिकों को सेना ने सुरक्षित बचा लिया था जबकि रैणी आपदा में लापरवाही के चलते सैकड़ों लोगों की जान चली गई।

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया है कि 2019 में उच्च न्यायालय की ओर से भी इसी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए परियोजनाओं के निर्माण के लिये होने वाले विस्फोट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और खनन एवं विस्फोट की अनुमति अधिकारियों की देखरेख व निरीक्षण में ही करने को कहा गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी ने बताया कि मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान की अगुवाई वाली युगलपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार समेत सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 25 जून को होगी।
 

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