Edited By Nitika,Updated: 13 Aug, 2020 05:08 PM
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा एवं पिथौरागढ़ में हाल ही में आई आपदा को समानता बताया। साथ ही इसे हिमालयी क्षेत्र के लिए खतरे का संकेत मानते हुए कहा कि केन्द्र सरकार विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय कमेटी का गठन...
नैनीतालः उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने साल 2013 में केदारनाथ में आई आपदा एवं पिथौरागढ़ में हाल ही में आई आपदा को समानता बताया। साथ ही इसे हिमालयी क्षेत्र के लिए खतरे का संकेत मानते हुए कहा कि केन्द्र सरकार विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर हिमालयी क्षेत्र का अध्ययन करवाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद हिमालयी क्षेत्रों के लिए ठोस योजना बनानी होगी। इसमें उत्तराखंड ही नहीं पूरे हिमालयी राज्यों को फायदा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चस्तरीय टीम स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिले सुझावों को भी अध्ययन के मूल में शामिल करे। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ में पिछले एक महीने में भीषण प्रलय आई है। पहाड़ी से आए मलबे में कई गांवों का अस्तित्व मिट गया हैं।
वहीं हरीश रावत ने धारचूला तहसील के ग्वाल गांव का एक और उदाहरण देते हुए कहा कि इस गांव में अप्रत्याशित परिवर्तन आया है। ऐसा लगता है कि गांव की भूमि अभूतपूर्व परिवर्तन के चलते फूल गई है, जिससे गांव में खड़े मकान टेढ़े हो गए हैं। गांव के लोगों के सामने जीवन यापन का सवाल खड़ा हो गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उच्चस्तरीय कमेटी को आपदा के कारणों एवं लोगों के पुनर्वास पर भी विचार करना चाहिए।