राज्यपाल ने एरीज भ्रमण के दौरान टेलीस्कोप से चंद्रमा को निहारा

Edited By Nitika,Updated: 14 Jun, 2022 06:21 PM

governor observed the moon with a telescope

उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) का भ्रमण किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने राज्यपाल को शोध संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

 

नैनीतालः उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह ने आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) का भ्रमण किया। इस दौरान वैज्ञानिकों ने राज्यपाल को शोध संस्थान की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

राज्यपाल न बताया कि भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत यह एक स्वायत्त निकाय है। मनोरा पीक, नैनीताल खगोलीय वेधशाला का गठन 20 अप्रैल, 1954 को वाराणसी में किया गया। तब इसे प्रदेश राजकीय वेधशाला के नाम से जाना जाता था। तदोपरांत 1955 में नैनीताल एवं 1961 में अपने वर्तमान स्थान मनोरा पीक में स्थापित किया गया। वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद यह ‘‘राजकीय वेधशाला'' के रूप में जाने लगी। इसके बाद 22 मार्च 2004 से यह भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्तशासी संस्थान के रूप में कार्य कर रही है।

इस मौके पर महामहिम ने कहा की उत्तराखंड का सौभाग्य है कि यहां विश्व प्रतिष्ठित शोध संस्थान है, जो खगोल विज्ञान, सौर भौतिकी, खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान शोध के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान दे रहा है। इस अवसर पर राज्यपाल ने टेलीस्कोप से चंद्रमा का अवलोकन किया और कहा कि यह देखना एक अछ्वुत अनुभव रहा। वैज्ञानिकों द्वारा अवगत करवाया गया कि 104 सेमी संपूर्णानंद टेलीस्कोप एशिया में सबसे पुरानी व प्रथम टेलीस्कोप है। इसी वर्ष टेलीस्कोप की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि 50 ऐसे संबंधित वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं कर्मचारियों को चिह्नित किया जाए, जिनका वेधशाला के संचालन में सर्वश्रेष्ठ योगदान रहा हो उन्हें सम्मानित किया जाएगा। हल्द्वानी में स्थापित किए जाने वाले एस्ट्रोपार्क, विज्ञान केन्द्र के स्थापना संबंधित प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उन्होंने निदेशक एरीज को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने आगे कहा की वर्तमान में युवाओं का रुझान अंतरिक्ष एवं खगोल विज्ञान की ओर बढ़ता जा रहा है। इसके अतिरिक्त इन क्षेत्रों में बहुत अधिक संभावनाएं भी है। इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने एस्ट्रो टूरिज्म की संभावनाओं पर भी विचार करने को कहा। वैज्ञानिकों द्वारा अवगत करवाया गया कि जिला प्रशासन के सहयोग से जिले के देवस्थल और ताकुला को एस्ट्रो टूरिज्म विलेज के लिए चुना गया है। यहां पर छोटी टेलीस्कोप की मदद से आने वाले पर्यटक घूमने के साथ-साथ तारों को भी निहार सकेंगे।

राज्यपाल ने अन्य जिलों में भी एस्ट्रो टूरिज्म क्रियान्वयन पर विचार करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा की संस्थान को आगे बढ़ाए जाने के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा।
 

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