Edited By Deepika Rajput,Updated: 20 Oct, 2018 03:41 PM
भारत-चीन सीमा पर उजड़ चुके गांवों का पुनर्वास कर उनको फिर से विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा है। भारत-चीन सीमा सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यहां पर कई बार चीनी सेना ने घुसपैठ भी की है। राज्य सरकार इस क्षेत्र...
देहरादून: भारत-चीन सीमा पर उजड़ चुके गांवों का पुनर्वास कर उनको फिर से विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा है। भारत-चीन सीमा सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। यहां पर कई बार चीनी सेना ने घुसपैठ भी की है। राज्य सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित करने की योजना बना रही है।
राज्य सरकार ने जो प्रस्ताव केंद्र को भेजा है उसमें सीमा पर स्थित नीति घाटी, माणा गांव, नीलांग घाटी, धारचूला समेत कई क्षेत्रों को आबाद करने का फैसला किया है। केंद्र के पास भेजे प्रपोजल में इस क्षेत्र की बसावट को बढ़ावा देने के लिए और स्थानीय लोगों को फिर से उनके गांव में वापस लाने के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव रखा गया है। बता दें कि इस क्षेत्र की काश्तकारी, लकड़ी की नक्काशी से संबंधित कुटीर उद्योग, जड़ी- बूटी, पशुपालन के साथ-साथ उनके आजीविका को बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा। इतना ही नहीं राज्य सरकार की योजना है कि इंडो-चाइना बॉर्डर को पर्यटन के लिए भी विकसित किया जाए। कुछ गांवों को चिन्हित करके पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
सरकार का मानना है कि बॉर्डर को देखने की लालसा देश के पर्यटकों की होती है, लेकिन उचित सुविधा, होटल्स, यातायात की व्यवस्था आदि ना होने की वजह से पर्यटक इन क्षेत्रों में नहीं जा पाते हैं। जबकि आसपास कि गांवों को पर्यटक विलेज के रूप में तैयार करके इस क्षेत्र में संभावनाएं ढूंढी जा सकती हैं। इस तरह से आस-पास के लोगों को आजीविका मिलेगी और इंडो-पाक बॉर्डर भी आबाद हो जाएंगे।