कंधे पर शव ढोने का मामला: दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने उठाए सवाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 May, 2018 09:09 PM

dr tamta raise the question on dead body carry case

भाई के शव को कंधे पर ढोने की घटना में बैठी जांच पर दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केके टम्टा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें प्राचार्य ने घटना वाले दिन लिखित आदेश देकर शासन की बैठक में भेजा था। घटना होने के बाद प्राचार्य ही उनसे...

देहरादून: भाई के शव को कंधे पर ढोने की घटना में बैठी जांच पर दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. केके टम्टा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें प्राचार्य ने घटना वाले दिन लिखित आदेश देकर शासन की बैठक में भेजा था। घटना होने के बाद प्राचार्य ही उनसे स्पष्टीकरण मांग रहे हैं। जब वे अस्पताल में थे ही नहीं, तो वे पीड़ित की फरियाद कैसे सुनते? 

 

दून अस्पताल में एक बार फिर से चिकित्सा अधीक्षक और प्राचार्य के बीच विवाद सामने आ गया है। घटना पर कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. प्रदीप भारती गुप्ता ने चिकित्सा अधीक्षक डा. केके टम्टा से स्पष्टीकरण मांगा है। स्पष्टीकरण मांगे जाने पर चिकित्सा अधीक्षक ने गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने बताया कि उन्हें खुद ही अस्पताल ने शासन की ओर से आयोजित बैठक में भेजा था। 

 

अस्पताल से जाने के बाद उन्हें इस घटना की सूचना नहीं मिली, क्योंकि अस्पताल के कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक डा. केसी पंत भी अवकाश पर थे। उधर, प्राचार्य डा. प्रदीप भारती गुप्ता का कहना है कि चिकित्सा अधीक्षक उस दिन ड्यूटी पर थे। अगर वे बैठक में गए भी थे, तो उन्हें एेसा प्रबंध करना चाहिए था कि उनके जाने के बाद उन्हें कोई सूचना देता। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा केके टम्टा हैं। लिहाजा उनसे ही स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

 

यह था घटनाक्रम 
उत्तरप्रदेश के बिजनौर जिले के धामपुर का निवासी पंकज अपने छोटे भाई संजू को फेफड़ों के इंफकेशन के इलाज के लिए दून मेडिकल कॉलेज लेकर आया था। बीते वीरवार की सुबह उसकी मौत हो गई। पंकज के पास लाश वाहन पर ले जाने के लिए पैसे नहीं थे। उसने अस्पताल से एंबुलेंस देने का आग्रह किया, लेकिन इसके एवज में उससे पांच हजार रूपये की मांग की गई। एंबुलेंस सेवा-108 से संपर्क साधा, तो वहां से भी दो टूक शब्दों में इनकार कर दिया गया। इसके बाद उसने निजी एंबुलेंस संचालकों से गुहार लगाई, लेकिन उनका दिल भी नहीं पसीजा। जब किसी से कोई मदद नहीं मिली, तो वह भाई की लाश को कंधे पर लादकर अस्पताल से धामपुर के लिए पैदल ही निकल पड़ा।

 

 तभी एमकेपी कॉलेज के नजदीक सामने से आ रहे किन्नरों के समूह ने जब यह नजारा देखा तो वे हतप्रभ रह गए। उन्होंने पंकज को दो हजार रुपए दिए। कुछ और लोगों ने भी देखादेखी चंदा जमा किया और तब कहीं जाकर पंकज अपने भाई की लाश घर ले जा पाया। इस मामले को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी गंभीरता से लिया था और जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने इस मामले में स्वास्थ्य सचिव नितेश झा से रिपोर्ट तलब की थी। बाद में स्वास्थ्य सचिव की रिपोर्ट से असंतुष्ट मुख्यमंत्री ने नये सिरे से इसकी जांच कराने का निर्णय लिया। अब इस मामले की जांच डीजी हेल्थ को सौंपी गई है जो सात दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेंगे।

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