बजट सत्र के पहले दिन ऐसा कर प्रदेश सरकार को घेरेगी कांग्रेस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 06:39 PM

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भाजपा सरकार की नीतियों को जनविरोधी साबित करने पर तुली कांग्रेस अब केदारनाथ और गैरसैंण के मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरने के प्रयास में है। केदारनाथ में राष्ट्रीय स्तर की उत्तराखंड की हस्तियों को उतारने की भाजपा की कोशिश को जहां कांग्रेस ने निम्न...

देहरादून/ब्यूरो। भाजपा सरकार की नीतियों को जनविरोधी साबित करने पर तुली कांग्रेस अब केदारनाथ और गैरसैंण के मुद्दे पर प्रदेश सरकार को घेरने के प्रयास में है। केदारनाथ में राष्ट्रीय स्तर की उत्तराखंड की हस्तियों को उतारने की भाजपा की कोशिश को जहां कांग्रेस ने निम्न स्तर की राजनीति बताई है, वहीं गैरसैंण में सचिवालय का निर्माण नहीं होने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बजट सत्र के पहले दिन सांकेतिक धरना देने का निर्णय लिया है।

नोटबंदी और जीएसटी मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ कोई बड़ा सियासी अभियान छेड़ने में विफल रही कांग्रेस को जनचेतना रैली और इंदिरा हृदयेश की रैली ने बड़ी ताकत दी है।

इन दोनों कार्यक्रमों की सफलता का आकलन इससे किया जा सकता है कि हरीश रावत को भी लगता है कि वह बड़ा मौका चूक गए। एक ऐसा मौका जिसके जरिये वे जनता के बीच जा सकते थे। वह इसकी भरपाई करना चाहते हैं। गुजरात मॉडल के बहाने प्रदेश भ्रमण के बाद अब वह प्रदेश में भाजपा सरकार को घेरने की कवायद में जुट गए हैं।

इसके लिए जरिया बनाया है केदारनाथ और गैरसैंण को। हरीश रावत को इस बात की चिंता है कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण के सारे कार्य कांग्रेस सरकार के दौरान हुए। अब इसका श्रेय भाजपा लेना चाहती है। हरीश रावत की मानें, तो पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों केदारनाथ में जिन पांच योजनाओं का शिलान्यास कराया गया, उनका निर्माण कार्य की शुरुआत भी कांग्रेस के समय में हुई थी।

अब उन्हीं निर्माण कार्यों को देखने के लिए उत्तराखंड की उन हस्तियों को बुलाया जा रहा है, जो देश के शीर्ष पदों पर बैठे हैं। हरीश रावत और कांग्रेस को लगता है कि इसके जरिये एक तो भाजपा सरकार केदारनाथ के निर्माण का श्रेय लेना चाहती है। दूसरा यह कि राष्ट्रीय स्तर पर यश और कीर्ति फैला रही प्रदेश की नामी हस्तियों को स्थानीयता से जोड़ा जा रहा है। इससे ऐसा संदेश जाएगा कि इन हस्तियों ने अपने बलबूते नहीं, बल्कि केन्द्र की भाजपा सरकार के अनुग्रह पर कुर्सी पाई है। कांग्रेस हर स्तर पर इसका विरोध करना चाहती है।

हरीश रावत के नजदीकी सूत्रों ने बताया कि इसके लिए हरीश रावत केदारनाथ की पैदल यात्रा करेंगे। पैदल यात्रा के जरिये वह सर्वप्रथम बाबा केदारनाथ का दर्शन करेंगे। खुद हरीश रावत ने ट्वीट किया है कि पैदल यात्रा के जरिये वह यह देखना चाहेंगे कि एक साल में केदारनाथ की भौतिक स्थिति में कितना परिवर्तन आया है। वह यह जानेंगे कि एक साल में डबल इंजन की सरकार ने केदारनाथ के लिए कुछ किया भी है या शब्दों के जरिये बाबा की सेवा की जा रही है।
इसी तरह गैरसैंण को लेकर भी कांग्रेस नाराज है।

कांग्रेस का मानना है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के समय गैरसैंण में विधानसभा सचिवालय की नींव रखी गयी थी। भवन निर्माण के लिए पैसा भी मंजूर हो गया। टेंडर भी हो गए। लेकिन निर्माण कार्य अब तक प्रारंभ नहीं हुआ। कांग्रेस यह जानना चाहती है कि आखिर गैरसैंण के साथ यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है? कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि गैरसैंण पर भाजपा सरकार का सच लोगों तक पहुंचाना जरूरी है।

इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल 20 मार्च को यानी गैरसैंण में बजट सत्र शुरू होने के दिन एक घंटे का सांकेतिक उपवास कर सकते हैं। हरीश रावत ने ट्वीट कर अपने कार्यक्रम की जानकारी दी है।

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