पलायन आयोग की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री ने किया सार्वजनिक, जानिए कुछ मुख्य बिंदु

Edited By Nitika,Updated: 06 May, 2018 12:48 PM

chief minister made public the report of the migratory commission

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को सीएम आवास में पलायन आयोग की रिपोर्ट का लोकार्पण किया। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को सीएम आवास में पलायन आयोग की रिपोर्ट का लोकार्पण किया। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 

जानकारी के अनुसार, राज्य में पिछले 18 सालों से सभी सरकारों के सामने एक बड़ी समस्या रही है। उत्तराखंड में बाहरी राज्यों से लोग बड़ी संख्या में घूमने आते हैं। वहीं राज्य के गांवों में तेजी से पलायन भी हो रहा है। उत्तराखंड के 750 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण जनवरी-फरवरी 2018 में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से करवाया गया। पलायन आयोग की टीम ने सभी जिलों का दौरा करके लोगों से ग्राम विकास और पलायन के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श किया। 

मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कहा कि आयोग रिपोर्ट के आधार पर नए पर्वतीय जिलों के 35 विकासखंड चयनित किए गए हैं, जिनमें लघु, मध्यम और दीर्घ अवधि के लिए कार्य योजना बनाई गई है ताकि गांव का बहुक्षेत्रीय विकास तेजी से बढ़ सके। इसके साथ ही सीएम ने कहा कि सरकार को जरूरत ऐसी जमीनी हकीकत की थी, जिससे इस समस्या का असली कारण पता चल सके। उन्होंने कहा कि अब आयोग की रिपोर्ट के बाद इस में सरकार जमीनी स्तर पर इसको रोकने के उपायों पर कार्य कर सकती है, जिससे पलायन रुक सके। सीएम ने कहा कि सरकार के द्वारा राज्य के अभाव ग्रस्त क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए कार्य किया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।

पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिले में सबसे अधिक पलायन 
इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 सालों में 6338 ग्राम पंचायतों में 383726 व्यक्ति अस्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। यह लोग घर में आते-जाते रहते है लेकिन अस्थाई रूप से रोजगार के लिए बाहर रहते हैं। इसी अवधि में 3946 ग्राम पंचायतों से 118981 लोग स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं। इसमें सबसे अधिक पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिले में हुआ। 

पलायन आयोग के रिपोर्ट के कुछ बिंदु निम्नलिखित हैं- 
- रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों में 50% लोगों ने आजीविका और रोजगार की समस्या के कारण 15% में शिक्षा की सुविधा एवं 8% में चिकित्सा सुविधाओं के अभाव के कारण पलायन किया। 
- ग्राम पंचायतों से पलायन करने करने वालों की आयु 26 से 35 वर्ष के वर्ग में 42% है 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29% है तथा 25 वर्ष से कम आयु में 28% है।
- ग्राम पंचायतों से 734 राजस्व ग्राम टोंक माजरा 2011 की जनगणना के बाद गैर आवाज हो गए हैं इनमें से 14 अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से हवाई दूरी से 5 किलोमीटर के भीतर है। 
- राज्य में 850 ऐसे गांव हैं जहां पिछले 10 वर्षों में अन्य गांव शहर कस्बे से पलायन कर उस गांव में आकर लोग बसे हैं।
- राज्य में 565 ऐसे राजू सुखराम तो माजरा हैं जिनकी आबादी 2011 के बाद 50% घटी है। इनमें से 6 ग्राम अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी की 5 किलोमीटर के भीतर हैं। 
- राज्य में लगभग 734 ग्राम तक माजरा 2011 की जनगणना के बाद आबाद हो गए हैं। इनमें से 14 अंतर्राष्ट्रीय सीमा से हवाई दूरी से 5 किलोमीटर के भीतर हैं। 
- रिपोर्ट के आधार पर नव पर्वतीय जिलों के 35 विकासखंड चयनित किए गए हैं जिनमें आयोग को दूर जाकर लघु और माध्यम अवधि की कार्य योजना बनाई गई। 
- ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्य व्यवसाय कृषि 40% और मजदूरी 33% है।


 

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