NTPC ने कहा- चमोली आपदा के बाद किए गए सर्वश्रेष्ठ उपाय

Edited By Nitika,Updated: 01 Jul, 2021 04:11 PM

best measures taken after chamoli disaster

एनटीपीसी ने कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में फरवरी में आई आपदा से प्रभावित तपोवन-विष्णुगाड जलविद्यृत परियोजना में मरे और लापता हुए कर्मचारियों के परिवारों की मदद के लिए उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप राहत के सर्वश्रेष्ठ उपाय किए हैं।

 

देहरादूनः एनटीपीसी ने कहा कि उत्तराखंड के चमोली जिले में फरवरी में आई आपदा से प्रभावित तपोवन-विष्णुगाड जलविद्यृत परियोजना में मरे और लापता हुए कर्मचारियों के परिवारों की मदद के लिए उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप राहत के सर्वश्रेष्ठ उपाय किए हैं।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दाखिल अपने प्रति शपथपत्र में एनटीपीसी ने कहा कि आपदा के दौरान उसके 140 कर्मचारी मारे गए थे, जिनमें से 84 को मुआवजा मिल चुका है। बाकी लोगों के मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। प्रति शपथपत्र में कहा गया है, ‘‘एनटीपीसी एक जिम्मेदार सरकारी कंपनी है जिसने आपदा से प्रभावित अपने कर्मचारियों के परिवारों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरुप सर्वश्रेष्ठ राहत प्रयास किए हैं।''

एनटीपीसी के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि ऋषिगंगा और धौलगंगा नदियों में 7 फरवरी को अचानक आई बाढ को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पिछली तारीख को कंपनी से आपदा के कारणों, जानमाल के नुकसान को हुई क्षति तथा उसके बाद उठाए गए सुधारात्मक कदमों के बारे में जानकारी देते हुए एक प्रति शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। हिमनद टूटने के कारण धौलीगंगा नदी में जब बाढ़ आयी, उस वक्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में एनटीपीसी के कई कर्मचारी काम कर रहे थे। एनटीपीसी ने अपने प्रति शपथपत्र में कहा कि नंदाघुंटी हिमनद की चोटी पर एक चट्टान टूटी जिससे धौलीगंगा में अचानक इस प्रकार की बाढ़ आई जो हजारों सालों में एक बार आती है। कंपनी ने कहा कि तपोवन विष्णुगाड परियोजना रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है और अभी तक ऐसी कोई तकनीक उपलब्ध नहीं है जो ऐसी प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी कर सके या पूर्वानुमान लगा सके।

एनटीपीसी ने कहा कि हालांकि, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और उर्जा मंत्रालय ने सात फरवरी को ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में आई बाढ़ के कारणों के अध्ययन और पहाड़ी क्षेत्रों में पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की संभावना ढूंढने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान तथा न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी। अदालत ने केंद्र सरकार को अपना प्रति शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
 

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