SDRF की मदद से बिहार के युवक को 13 साल बाद मिला अपना परिवार

Edited By Nitika,Updated: 25 Aug, 2019 04:45 PM

a young man got his family

उत्तराखंड पुलिस के प्रयासों की बदौलत 22 वर्षीय एक युवक को 13 साल बाद अपना परिवार मिल गया। वह 13 वर्ष पहले बिहार के गया जिले से उत्तरकाशी के किराणु गांव मजदूरी करने आया था।

देहरादून/पटनाः उत्तराखंड पुलिस के प्रयासों की बदौलत 22 वर्षीय एक युवक को 13 साल बाद अपना परिवार मिल गया। वह 13 वर्ष पहले बिहार के गया जिले से उत्तरकाशी के किराणु गांव मजदूरी करने आया था।

जानकारी के अनुसार, हाल में उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लॉक के किराणु में आई आपदा के बाद बचाव और राहत अभियान के दौरान इस युवक ने एसडीआरएफ के एक जवान कुलदीप सिंह से अपना घर ढूंढने में मदद मांगी और उन्होंने उसे निराश भी नहीं किया। एसडीआरएफ के प्रवक्ता आलोक सिंह ने बताया कि आराकोट गांव के पास हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित आपदाग्रस्त किराणु गांव में जब कुलदीप तथा अन्य लोगों की टीम बचाव और राहत के कार्य में लगी थी तभी 21 अगस्त को 22 वर्षीय शीवाजन उनके संपर्क में आया और उसने मदद मांगी। वहीं कुलदीप सिंह के हवाले से आलोक सिंह ने बताया कि मदद मांगते समय युवक की आंखों में आंसू थे और उसने कहा कि मुझे अपने घर जाना है। हालांकि, उसे यह नहीं पता था कि उसे जाना कहां है।

कुलदीप ने जब विस्तृत जानकारी प्राप्त की तो ज्ञात हुआ कि 13 वर्ष पूर्व शीवाजन बिहार के कुछ मजदूरों के साथ क्षेत्र में आया था और सेबों की पैकिंग का काम करता था। उसी दौरान एक दिन मजदूरों का मालिक से झगड़ा हो गया और वह उसे छोड़ कर रात को ही गांव से चले गए। शीवाजन की उम्र उस समय 9 साल थी और उसे अपने गांव या पिता का नाम आदि कुछ भी स्पष्ट रूप से याद नहीं था। सिर्फ इतनी जानकारी मिली कि उसके घर के पास हवाई जहाज उड़ा करते थे। इसी आधार पर कुलदीप सिंह ने इंटरनेट पर बिहार के बड़े हवाई अड्डे के पास बसे गांवों को ढूंढना शुरू किया। उनकी मेहनत रंग लाई और शीवाजन के बताए गांव की तरह 'बडेजी' गांव गया हवाई अड्डे के करीब दिखा।

इस पर कुलदीप ने निकटवर्ती पुलिस थाने मगध और मुफस्सिल थाने से संपर्क किया किन्तु उधर से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। इसके बाद भी कुलदीप ने अपने प्रयास नहीं छोडे़ और गया के पुलिस अधीक्षक को फोन पर घटना से अवगत करवाया, जिसके बाद शीवाजन के परिवार की जानकारी प्राप्त हो गई। युवक की अपने परिवार से फोन पर बातें भी हुई हैं और अब 13 साल के बनवास के बाद उसे अपना परिवार मिल गया। शीवाजन से मिलने की आस छोड़ चुकी उसकी मां फूलादेवी भी उससे मिलने को आतुर हैं और अपने दूसरे पुत्र रोहित मांजी के साथ देहरादून आ रही हैं। एसडीआरएफ के कमांडेंट ने कुलदीप को इस मेहनत पर शाबाशी देते हुए 2500 रु. के नकद इनाम की घोषणा की है।
 

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