Edited By Ajay kumar,Updated: 01 Nov, 2019 12:47 PM
यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को जून में अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला...
लखनऊ: यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को जून में अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला लिया था। जो अब प्रदेश सरकार ने अपना फैसला वापस ले लिया है।
बता दें कि प्रदेश सरकार ने जून में अति पिछड़ा वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला लिया था। वहीं योगी सरकार के इस फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़ा। जो अब उत्तर प्रदेश सरकार 17 ओबीसी जातियों को एससी का सर्टिफ़िकेट नहीं दे सकेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को गलत बताया था। सरकार के फैसला वापस लेने के बाद अब 17 जातियां ओबीसी वर्ग में ही रहेंगी। जो कि योगी सरकार ने इनको एससी वर्ग में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया था।
एससी में शामिल करने का सरकार का उद्देश्य
योगी सरकार ने जून में 17 पिछड़ी जातियों को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था। इसके तहत सरकार ने इन जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल भी कर दिया था। इन जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में शामिल करने के पीछे सरकार का उद्देश्य था कि यह जातियां सामाजिक और आर्थिक रूप से ज्यादा पिछड़ी हुई हैं। अब इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इसके लिए योगी सरकार ने जिला अधिकारियों को 17 जातियों के परिवारों को जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश भी दे दिया था।
किन 17 जातियों को किया गया था शामिल
योगी सरकार ने जिन 17 पिछड़ी जातियों को एससी में शामिल किया था, उनमें निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा इत्यादि हैं।