योगी सरकार के कड़े फरमान के बाद विरोध में उतरे बड़े डॉक्टर दे रहे इस्तीफा

Edited By ,Updated: 14 Apr, 2017 12:41 PM

yogi government after giving strong objection resigns doctors

योगी सरकार के आदेश के बाद सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाए प्रतिबंध पर डॉक्टरों का विरोध लगातार जारी है। इसी कड़ी में इलाहाबाद के....

इलाहाबादः योगी सरकार के आदेश के बाद सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाए प्रतिबंध पर डॉक्टरों का विरोध लगातार जारी है। इसी कड़ी में इलाहाबाद के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के न्यूरो सर्जरी इकाई के प्रभारी प्रो. एनएन गोपाल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। जिनका कहना है कि उनपर भारी दबाव था कि वह अब अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस बंद करे, लेकिन प्राइवेट प्रैक्टिस में बड़ी संभावना को देखते हुए उन्होंने सरकारी पद ही छोड़ दिया।  इस फैसले के बाद मेडिकल कॉलेज के समक्ष समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि जूनियर डॉक्टरों की पढ़ाई से लेकर अस्पताल में मरीजों की सर्जरी सबकुछ ठप हो गई है।

कई और डाक्टर छोड़ सकते हैं नौकरी
प्राइवेट प्रैक्टिस में अकूत धन कमा रहे सरकारी डाक्टरों की एक बड़ी फेहरिस्त इलाहाबाद में है। अगर प्रशासन ने सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया तो आने वाले दिनों में केवल इलाहाबाद से दर्जन भर डाक्टर नौकरी छोड़ देंगे। इसकी वजह साफ है कि सरकारी नौकरी में एक बंधी तनख्वाह है जबकि प्राइवेट प्रैक्टिस में कमाई की कोई लिमिट नहीं है। अगर इस समय की बात करें तो मेडिकल क्षेत्र में इलाहाबाद बहुत तेजी से ग्रोथ कर रहा है और अच्छे डाक्टरों की यहां डिमांड है।

जूनियर डाक्टरों की पढ़ाई भी ठप 
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के न्यूरों सर्जरी इकाई के प्रभारी डॉ एनएन गोपाल प्रोफसर भी थे। वह इलाज के साथ जूनियर डाक्टरों को न्यूरो सर्जरी भी पढ़ाते थे, लेकिन उनके इस्तीफे से जूनियर डाक्टरों की पढ़ाई भी ठप हो चुकी है। डॉ गोपाल से इस्तीफा देने का कारण पूछा गया तो उन्होंने इसे निजी कारण बताया। हलांकि यह जगजाहिर हो चुका है कि इनकी प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाम के बाद वह नाराज चल रहे थे और यह कदम उठाया।

अब एेसे में सवाल यह उठता है कि योगी सरकार के इस कड़े फैंसले के बाद यदि डॉक्टर यूंहि सरकारी नौकरी छोड़ प्राइवेट प्रैक्टिस करते रहे तो गरीब जनता के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है। गौरतलब है कि यूपी में गरीबी रेखा के आंकड़े हैरान कर देने वाले है। एेसे में सरकारी अस्पतालों में इलाज ना मिल पाने से गरीबों के लिए समस्या उठ सकती है।


 

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