तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ विधेयक के हश्र से वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड निराश

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 Sep, 2018 12:14 PM

woman personal law board disappointed with bill

तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को अदालत तक पहुंचाने वाले ‘ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड’ ने तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ बनाये गये विधेयक के ‘सियासी जाल में उलझ’ जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा या कांग्रेस नहीं, बल्कि सिर्फ मुस्लिम कौम ही...

लखनऊः तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को अदालत तक पहुंचाने वाले ‘ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड’ ने तलाक-ए-बिद्दत के खिलाफ बनाये गये विधेयक के ‘सियासी जाल में उलझ’ जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भाजपा या कांग्रेस नहीं, बल्कि सिर्फ मुस्लिम कौम ही अपने मसायल को सुलझा सकती है।

बोर्ड की अध्‍यक्ष शाइस्‍ता अबर ने कहा कि तीन तलाक का मसला जिस तरह से सियासी मकडज़ाल में उलझकर रह गया, उससे वह बेहद निराश हैं। उन्‍होंने कहा च्च्हमारे मसले हमारी कौम के बीच ही हल हो सकते हैं। कोई भी पार्टी हमारी हमदर्द नहीं है, ना भाजपा, ना कांग्रेस, ना कोई और। ये पाॢटयां मुस्लिम कौम को गड्ढे में डालने का काम करती रही हैं। जब तक हमारे अंदर एकता नहीं होगी तब तक कुछ नहीं होगा।

शाइस्‍ता ने कहा कि मुस्लिम कौम के मसले दूसरी कौमों की समस्‍याओं के मुकाबले ज्‍यादा ग ‍भीर नहीं हैं लेकिन राजनीतिक फायदे के लिये इन्‍हें तूल दी गयी और खासकर तीन तलाक का मसला आखिरकार सियासी जाल में उलझकर रह गया। उन्‍होंने कहा कि तीन तलाक के मामले पर भाजपा ने मुस्लिम औरतों को ‘छला’ है। उसने मसले का हल निकालने के बजाय उल्‍टे परेशानियां बढ़ा दी हैं। सरकार ने विधेयक में जो प्रस्‍ताव पेश किये वे घर जोडऩे वाले नहीं, बल्कि तोडऩे वाले थे। ऐसा लगा कि सरकार कभी मसले को हल करने के प्रति ग ‍भीर ही नहीं थी।

इस सवाल पर कि सरकार ने तो लोकसभा में तीन तलाक रोधी विधेयक पारित करा दिया था, शाइस्‍ता ने कहा कि राज्‍यसभा में यह बिल इसलिये पारित नहीं हुआ, क्‍योंकि सरकार की नीयत ही नहीं थी। उन्‍होंने कहा कि तीन तलाक विधेयक में सरकार द्वारा किये गये संशोधन नाकाफी थे। विड ‍बना देखिये, कि एक तरफ उच्‍चतम न्‍यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था, लिहाजा तीन तलाक कभी वजूद में आनी ही नहीं थी। दूसरी तरफ सरकार ने विधेयक में तीन तलाक देने वाले को तीन साल की सजा का प्रावधान कर दिया। यह खुद में विरोधाभासी बात है। इसके अलावा कई अन्‍य ग ‍भीर गड़बडिय़ां रहीं। ऐसा इसलिये हुआ क्‍योंकि सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ विधेयक तैयार करने से पहले उस तबके के प्रतिनिधियों से बातचीत करना जरूरी नहीं समझा, जिस पर इसका असर पडऩे वाला था।

शाइस्‍ता ने कहा कि मुस्लिम कौम के शरई मसलों के हल का बहुत सीधा सा रास्‍ता है। इस बारे में वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पहले भी मांग कर चुकी हैं कि तलाक के मसले हल करने के लिये मध्‍यस्‍थता परिषद का काम करने वाली ‘दारुल कक़ाा’ में एक पुरुष काजी के साथ महिला काजी की भी नियुक्ति की जाए, ताकि दोनों पक्षों की बात को सही तरीके से सुना जा सके और दारुल कक़ाा की विश्‍वसनीयता पर उठ रहे सवालों पर भी विराम लग जाए।

शाइस्‍ता ने कहा कि मुसलमानों के मसलों का हल सिर्फ इस कौम के रहनुमा ही निकाल सकते हैं। उनका संगठन इस बारे में किसी भी वक्‍त ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से बातचीत करने को तैयार हैं। इससे पहले भी उन्‍होंने पर्सनल लॉ बोर्ड का सहयोग किया है। उन्‍होंने खुद प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति को पत्र भेजकर कहा है कि तीन तलाक बिल को लेकर बोर्ड से बात की जाए।

इस सवाल पर कि तीन तलाक बिल को लेकर जारी गतिरोध और मुस्लिम समाज में उपजी चिंता के कारण उत्‍पन्‍न बदले हालात में अब क्‍या उनका संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को कोई समाधान सुझाएगा, शाइस्‍ता ने कहा कि यह हमारी शरीयत, अकीदे और मुस्लिम लॉ के मामले हैं। बोर्ड को चाहिये कि वह बदले हुए हालात में अपने नजरिये को भी बदलकर समाज को राह दिखाये। 


 

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