Edited By Ruby,Updated: 03 Sep, 2018 01:50 PM
पुरूष भी पत्नियों द्वारा प्रताड़ित हो रहे हैं जिसके लिए पुरूष आयोग का गठन किया जाना चाहिए। यह वाक्य कानून एवं न्याय समिति के सदस्य हरदोई से भाजपा सांसद अंशुल वर्मा के हैं। इन्होंने पुरूष आयोग गठन की मांग की है। इतना ही नहीं सांसद ने धारा 498A के...
हरदोईः पुरूष भी पत्नियों द्वारा प्रताड़ित हो रहे हैं जिसके लिए पुरूष आयोग का गठन किया जाना चाहिए। यह वाक्य कानून एवं न्याय समिति के सदस्य हरदोई से भाजपा सांसद अंशुल वर्मा के हैं। इन्होंने पुरूष आयोग गठन की मांग की है। इतना ही नहीं सांसद ने धारा 498A के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए सेक्शन में बदलाव की भी मांग रखी है।
बता दें कि भाजपा सांसद आगामी 13 सितंबर को एक सेमिनार में हिस्सा लेंगे जहां वह अपने विचार व्यक्त करेंगे। भाजपा सांसद के मुताबिक पूर्व में मुखिया की स्थिति में रहे पुरुष की स्थिति वर्तमान समय में दुखिया की हो गई है। अंशुल वर्मा ने बताया कि पिछले साल उन्होंने लोकसभा में एक प्रश्न डाला था जिसके तहत उन्होंने कहा था कि किसी भी धारा के चलते इतनी गिरफ्तारी नहीं हुई है जितनी धारा 498ए के चलते हुई है।
उन्होंने बताया कि एनसीआरबी का डाटा है जो हमें बताता है कि लगभग 27 लाख के करीब शिकायत के आधार पर गिरफ्तारियां हुई हैं यह एक दुखद स्थिति है जहां एक तरफ जेल के ओवर वर्डन की हम बात करते हैं। अगर अंडर ट्रायल इस संख्या में जेल में रहेंगे तो यह बहुत बड़ी समस्या है। इसका कारण धारा 498ए का दुरुपयोग है जिसके चलते भय का माहौल बना हुआ है मुझे लगता है कि कहीं ना कहीं थोड़ा सा संशोधन होने की आवश्यकता जरूर है।
भाजपा सांसद ने कहा कि पहले तो उनकी पुरुष आयोग की मांग है उसके बाद हमारी मांग यह भी रहेगी कि धारा 498A में संशोधन हो और इसमें कहीं ना कहीं राहत की गुंजाइश रहे। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि यह सोवियत संघ की तर्ज पर है उनकी परिस्थितियां अलग थी हमारा परिवेश अलग है कहीं ना कहीं हमको संशोधन करके लोगों को इसका समान से अधिकार देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आगामी 23 सितंबर को दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित है जिसमें उनको अपने विचार रखने का मौका मिलेगा। सासंद ने कहा कि शायद लोगों को लगता हो कि मैं 498A से प्रताड़ित हूं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है मेरे घर मे स्थितियां सामान्य हैं और मेरी पत्नी मेरा सहयोग करती हैं।
गौरतलब है कि यह मांग भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर ने भी उठाई थी। राजभर ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा था कि पत्नियों के हाथों पति का बहुत उत्पीड़न होता है। इसलिए पुरुषों के लिए एक आयोग का गठन होना चाहिए जो ऐसे मसलों में उनकी मदद कर सकें।