स्वास्थ्य विभाग टाटा ट्रस्ट के सहयोग से लोगों को दिमागी बुखार के प्रति करेगा जागरूक

Edited By Ruby,Updated: 03 Jun, 2018 02:09 PM

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और सिद्धार्थ नगर जिले में दिमागी बुखार के प्रकोप के चलते अकसर सुर्खियों में रहते हैं। इस घातक बीमारी की रोकथाम और जनजागरूकता के लिए अब टाटा ट्रस्ट प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की मदद करेगा। जून के दूसरे सप्ताह से ट्रस्ट...

लखनऊः पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और सिद्धार्थ नगर जिले में दिमागी बुखार के प्रकोप के चलते अकसर सुर्खियों में रहते हैं। इस घातक बीमारी की रोकथाम और जनजागरूकता के लिए अब टाटा ट्रस्ट प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की मदद करेगा। जून के दूसरे सप्ताह से ट्रस्ट की दवाओं और डॉक्टरों से लैस वैन प्रभावित जिलों का दौरा करेंगी।

मेडिकल सुविधाओं और अत्याधुनिक उपचार पद्धतियां उपलब्ध होने के बावजूद गोरखपुर और सिद्दार्थ नगर दो ऐसे जिले हैं, जहां लगभग हर वर्ष मानसून की शुरूआत होते ही यह रोग विशेषकर बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। इसके मरीजों की संख्या और मृतकों की तादाद में लगभग हर दिन इजाफा होता है, लेकिन इस बार सरकार पहले से ही इसके खिलाफ कमर कस चुकी है।  

प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य, उत्तर प्रदेश प्रशांत त्रिवेदी ने बताया कि‘‘प्रदेश सरकार एवं टाटा ट्रस्ट के मध्य दिमागी बुखार की रोकथाम, उपचार एवं जनजागरूकता हेतु हाल में ही एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस साझा कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद गोरखपुर तथा सिद्धार्थ नगर में मोबाइल मेडिकल यूनिट वैन के माध्यम से दिमागी बुखार के रोगियों के त्वरित निदान एवं उपचार की व्यवस्था टाटा ट्रस्ट की ओर से की जाएगी। साथ ही जनपद गोरखपुर के पिपराईच ब्लॉक एवं सिद्धार्थनगर के उसका बाजार ब्लॉक को दिमागी बुखार के नियंत्रण एवं उपचार हेतु आदर्श स्वास्थ्य केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि चिकित्सक एवं दवाओं युक्त यह मोबाईल वैन दिमागी बुखार प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर रोगियों की जाँच एवं इलाज करेंगे साथ ही क्षेत्र में दिमागी बुखार के संबंध में जनजागरूकता भी फैलाएंगे। इसके अलावा टाटा ट्रस्ट द्वारा उक्त दोनों ब्लॉकों में दिमागी बुखार हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इस गतिविधि का मूल उद्देश्य दिमागी बुखार के कारण होने वाली विकलांगता तथा मृत्यु दर पर नियंत्रण करना है । त्रिवेदी ने बताया कि पहले चरण में इन दो ब्लाकों को लिया गया है। इस क्षेत्र में करीब 617 ऐसे गांव है जहां जेई और एईएस के रोगी पाये जाते हैं । इस लिये हमने टाटा ट्रस्ट से अनुरोध किया है कि वह गोरखपुर जिले के सभी 90 प्रभावित गांवों में मोबाइल मेडिकल यूनिट वैन की सुविधा उपलब्ध करायें । इस पर टाटा ट्रस्ट ने विचार करने का आश्वासन दिया है।   

प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य ने बताया कि टाटा ट्रस्ट के सहयोग से इन जनपदों में दिमागी बुखार के संबंध में जनजागरूकता बढाने तथा रोगियों को मौके पर ही उपलब्ध कराई जा रही निदान एवं इलाज की सुविधा का दायरा बढ़ाने के प्रयास किये जायेंगे। साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी इस प्रकार की मोबाइल यूनिट््स प्रारम्भ की जाएँगी। उन्होंने कहा कि यह मोबाइल वैन की गांव गांव जाने की सुविधा इसी माह के दूसरे सप्ताह से शुरू हो जाएगी।  

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