वृंदावन में अब प्रात: कालीन सेवा में भी हो सकेंगे फूल बंगले के दर्शन

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Dec, 2018 02:29 PM

vrindavan can now be seen in the morning service of the flower bungalow

इलाहाबाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद श्रद्धालुओं अब वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में नियमित रूप से प्रात:कालीन सेवा में भी फूल बंगले में विराजमान ठाकुर जी के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के राजभोग सेवा अधिकारी ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि अभी...

मथुराः इलाहाबाद उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद श्रद्धालुओं अब वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में नियमित रूप से प्रात:कालीन सेवा में भी फूल बंगले में विराजमान ठाकुर जी के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर के राजभोग सेवा अधिकारी ज्ञानेन्द्र गोस्वामी ने बताया कि अभी तक मंदिर में फूल बंगला बनाने की परम्परा चैत्र मास की एकादशी से सावन की अमावस्या तक केवल शयन भोग सेवा यानी शाम की सेवा में ही थी। फूल बंगले बहुत अधिक भव्य बनते हैं।

श्रद्धालुओं का इनके प्रति जबरदस्त आकर्षण रहता है। फूल बंगले के दौरान मंदिर में बहुत अधिक भीड़भाड़ हो जाती है और दर्शन करना एक चुनौती बन जाता है। बंगले में बेला, चमेली, मोंगरा और कभी कभी तो विदेशी ऐसे पुष्पों का प्रयोग किया जाता है जिससे ठाकुर को शीतलता मिले। जो श्रद्धालु किसी कारण शाम को मंदिर में नहीं पहुंच पाते थे वे ठाकुर की फूल बंगला सेवा से वंचित हो जाते थे।

उन्होंने बताया कि इस परेशानी को दूर करने के लिए लगभग 16 साल पहले मंदिर के सेवायत देवेन्द्र गोस्वामी ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर राजभेाग सेवा यानी सुबह की सेवा में फूलबंगला बनाने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। उस समय प्रबंधक एवं रिसीवर की संस्तुति पर सुबह भी फूल बंगला बनाने की इजाजत 23 दिसंबर 2002 को दे दी गई थी। कुछ दिन फूल बंगले बने भी थे, लेकिन शयनभोग के सेवाधिकारी गौरव गोस्वामी ने उस समय मुंसिफ मथुरा के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया था।

गोस्वामी ने बताया कि लगभग 15 साल बाद इस वाद की सुनवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी0 भोसले एवं न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने की थी। सुनवाई के दौरान पीठ ने दो प्रमुख आपत्तियों पर भी विचार किया था जिन्हें गौरव गोस्वामी ने उठाया था तथा जिनमें शयनभोग के गोस्वामियों के हित पर कुठाराघात करने तथा परंपराओं को तोडऩे का प्रश्न भी उठाया गया था।

न्यायमूर्तियों ने गंभीरता से विचार करने के बाद निर्णय में कहा था कि सुबह फूल बंगला बनने से न तो परंपराओं का हनन होता है और ना ही शयनभोग के गोस्वामियों का अहित ही होता है। पीठ का कहना था कि आपत्तियों के सबूत में कोई ठोस प्रमाण भी नहीं दिए गए। 

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