चुनाव के मौसम में ताजा हो उठा उत्तर प्रदेश की समूची गन्ना पट्टी के किसानों का दर्द

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 31 Mar, 2019 02:41 PM

uttar pradesh s perennial sugarcane

समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने से लदे ट्रक मिलों में जाने की बाट जोह रहे हैं। हालांकि ट्रकों में लदे ये मीठे रसीले गन्ने बकाया भुगतान नहीं होने और कम कीमत अदायगी की मार से परेशान गन्ना किसानों की कड़वी कहानी बयां करते हैं। देश के चीनी के कटोरे...

 

बागपत/कैरानाः समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने से लदे ट्रक मिलों में जाने की बाट जोह रहे हैं। हालांकि ट्रकों में लदे ये मीठे रसीले गन्ने बकाया भुगतान नहीं होने और कम कीमत अदायगी की मार से परेशान गन्ना किसानों की कड़वी कहानी बयां करते हैं। देश के चीनी के कटोरे के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह समूचा इलाका चुनाव प्रचार के इस मौसम में पोस्टरों, झंडों, रैलियों से पटा पड़ा है। लेकिन इस चुनाव ने कई किसानों के घाव हरे कर दिए हैं।

ऐसा प्रतीत होता है कि पाॢटयों द्वारा किये गये वादों के पूरा नहीं होने के कारण इलाके में नोटा (इनमें से कोई नहीं) विकल्प के उपयोग के स्वर अधिक उठ रहे हैं क्योंकि यहां के किसानों का कहना है कि वे वादों से तंग आ चुके हैं और उन्हें नहीं पता कि किस पर भरोसा किया जाये। कैराना में करीब 30 साल से गन्ने की खेती कर रहे निराश किसान ओम सिंह कहते हैं, ‘‘हमलोग नोटा का चयन करेंगे।’’ उनका कहना है कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण तक नहीं कर पा रहे हैं।

हर किसान को कम से कम डेढ़ लाख रुपया बकाया राशि का भुगतान होना शेष है। कैराना, बागपत और मुजफ्फरनगर में कुल 11 चीनी मिलें हैं और ट्रकों में लदे ये गन्ने इन मिलों में जाने का इंतजार कर रहे हैं। उपज तौले जाने के इंतजार में बागपत की रामला चीनी मिल के आगे बैठे 55 वर्षीय सत्यवीर ने कहा ‘‘पांच दशक से मेरा परिवार गन्ना उगा रहा है। हमारी आजीविका इसी से चलती है। लेकिन राजनीतिक दलों के झूठे वादों से हम तंग आ गए हैं।’’

उन्होंने कहा कि मिल प्रबंधक हमें कहते हैं कि सरकार से उनका पैसा मिलते ही हमें बकाया मिल जाएगा। ‘‘लेकिन कब...?’’ सत्यवीर को दो लाख रूपये से अधिक की बकाया राशि मिलनी है।

 

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