निकट भविष्य में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अपील पर सुनवाई कर सकता है उत्तर प्रदेश सूचना आयोग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jul, 2018 01:23 PM

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उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना नहीं मिलने पर अपील दायर करना एक कष्टदायक काम है। आयोग यह परेशानी दूर करने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अपील पर सुनवाई का एक पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है और...

इलाहाबादः उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना नहीं मिलने पर अपील दायर करना एक कष्टदायक काम है। आयोग यह परेशानी दूर करने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए अपील पर सुनवाई का एक पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है और अगर यह प्रयोग सफल रहता है तो इसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।  

सर्किट हाउस में संवाददाताओं से बातचीत में उस्मानी ने कहा कि प्रदेश के दूर दराज के जिले से लोगों को अपील कर सुनवाई के लिए लखनऊ आना पड़ता है। हमने यह पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। जिसमें 6 जिलों को का चयन किया गया है। इससे अपीलकर्ता को लखनऊ आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि वीडियो कान्फेंसिंग के जरिए अपील पर सुनवाई में अपलीकर्ता अपने जनपद स्थित कलेक्टरेट में एनआईसी के सेटअप के माध्यम से सुनवाई की सुविधा ले सकेगा। 

मुख्य सूचना आयुक्त ने बताया कि आयोग में प्रति वर्ष 34-35 हजारें अपीलें आती हैं। वर्ष 2013-14 में आयोग में ज्यादातर पद रिक्त थे जिसकी वजह से बड़ी संख्या में अपीलें लंबित हो गई थीं। 2015 में जब मैंने कार्यभार संभाला, उस समय 55,000 अपीलें लंबित थीं। आज की तिथि में लंबित अपीलों की तादाद 40,000 है। 

जिला और मंडल स्तर के जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय अधिकारियों को सूचना का अधिकार नियमावली 2015 के प्रावधानों का प्रशिक्षण देने आए उस्मानी ने कहा कि फरवरी, 2015 में जब मैंने कार्यभार संभाला था, तब मैंने पाया था कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को सुव्यवस्थित एवं प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए जरूरी नियमावली नहीं बनी थी। दस साल से यह कानून बिना नियमावली के अस्थाई तौर पर लागू किया गया था। 

उन्होंने कहा कि सूचना आयोग ने 2015 में पहल कर नियमावली का एक आलेख तैयार किया और इसे आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया गया और आपत्तियां एवं सुझाव प्राप्त कर जुलाई, 2015 में इसे राज्य सरकार के पास भेजा और दिसंबर 2015 में राज्य सरकार ने इसे अधिसूचित किया।’’ मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 भ्रष्टाचार के कीटाणुओं को मारने वाला कानून है, इसलिए इस कानून का प्रभावी क्रियान्वयन यदि प्रदेश में होता है तो निश्चित तौर पर सुशासन की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।    
 

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