Edited By Ajay kumar,Updated: 08 Feb, 2020 11:18 AM
उत्तर प्रदेश यूपीपीएससी (लोकसेवा आयोग) की परीक्षाओं में तीन साल के लिए डिबार किए जाने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश...
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश यूपीपीएससी (लोकसेवा आयोग) की परीक्षाओं में तीन साल के लिए डिबार किए जाने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिसके बाद याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से जवाब तलब किया है।
गौरतलब है कि 2018 की ग्राम विकास भर्ती (वीडीओ) में 1952 अभ्यर्थियों को अर्ह घोषित किया गया है। लेकिन उस सूची में याची अभिजीत सिंह का नाम नहीं है। इस मामले में लखनऊ के विभूति खंड थाने में 31अगस्त 2019 को धोखाधड़ी, कूटकरण व अन्य आरोपों में एफआईआर भी दर्ज करायी गयी है। एफआईआर के अनुसार 215 अभ्यर्थियों में से 136 की ओएमआर शीट की ट्रेजरी एवं आफिस कॉपी में 10 फीसदी अंकों का अंतर पाया गया है।
बता दें कि ओएमआर (OMR) शीट में भिन्नता होने के कारण आयोग ने याची पर तीन वर्ष के लिए परीक्षा में बैठने पर रोक लगा दी है। जिसको लेकर आजमगढ़ के अभिजीत सिंह की ओर से इलाहाबाद हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका पर याची के वकील का कहना है कि, याची पर एक पक्षीय प्रतिबंध लगाया गया है। हाइकोर्ट ने याची की ग्राम विकास अधिकारी भर्ती की ओएमआर शीट (OMR) की मूल एवं कार्बन कापी 25 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है। जस्टिस एम के गुप्ता की एकलपीठ ने यह आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में होगी।