UP: बदलने लगी है पूर्वांचल की किस्मत, निवेशकों के दिलों में जगह बनाने में सफल

Edited By Mamta Yadav,Updated: 05 Jun, 2022 07:16 PM

up the fortunes of purvanchal have started changing

दशकों तक सरकारों की उदासीनता के चलते पिछड़ेपन का दंश झेलने वाले पूर्वांचल की किस्मत अब रंग लाने लगी है। लखनऊ में चल रही तीसरी ग्राउन्ड ब्रेकिंग सेरमनी (जीबीसी-3) में आए निवेश के प्रस्तावों से पूर्वी उप्र में औद्योगिक निवेश करने में बढ़ती रुचि के...

लखनऊ: दशकों तक सरकारों की उदासीनता के चलते पिछड़ेपन का दंश झेलने वाले पूर्वांचल की किस्मत अब रंग लाने लगी है। लखनऊ में चल रही तीसरी ग्राउन्ड ब्रेकिंग सेरमनी (जीबीसी-3) में आए निवेश के प्रस्तावों से पूर्वी उप्र में औद्योगिक निवेश करने में बढ़ती रुचि के संकेत स्पष्ट रूप से मिल रहे हैं।       

आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि इस आयोजन में कुल 1406 प्रस्तावों में 80,224 करोड़ रूपये के निवेश में सर्वाधिक पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए हैं, वहीं दूसरे नंबर पर पूर्वी उप्र या पूर्वांचल है, जहां इलेक्ट्रानिक्स, खाद्य प्रसंस्करण से लेकर ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट शामिल हैं।       

प्रदेश का यह पूर्वी क्षेत्र लंबे समय तक पिछड़ा कहलाता था लेकिन पिछले पाँच वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल पर यहाँ की बड़ी परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ और उनमे कई पूरी भी हुईं। योगी ने 2017 में अपने पहले कार्यकाल प्रारंभ होने के कुछ समय बाद ही पूर्वाञ्चल विकास के लिए बड़े स्तर पर विशेषज्ञों, उद्योपातियों, अधिकारियों और अन्य संबंधित लोगों से चर्चा कर यहाँ के लिए विस्तृत कार्ययोजना बना उस पर काम शुरू किया।       

सूत्रों के अनुसार पूर्वांचल में निवेशकों की रुचि बढ़ने के पीछे एक मुख्य कारण लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्स्प्रेसवे का त्वरित गति से पूरा होना भी है। इसके शुरू हो जाने से पूर्वी उप्र और पूर्वी राज्यों तक सड़क मार्ग से बहुत कम समय में पहुँचा जा सकता है। इसके अलावा, पूर्वी उप्र के कई प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया गया, जिनमे कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोटर्, गोरखपुर में लंबे समय से बंद पड़े खाद कारखाने का पुन: संचालन, राष्ट्रीय नहर परियोजना का पूरा होना, पूर्वी उप्र में स्वास्थ्य व चिकित्सा, शिक्षा, उच्च शिक्षा के नए संस्थान शुरू होना, और सुरक्षा के वातावरण का सुद्दढ़ होना शामिल हैं।       

जीबीसी-3 में जहां सबसे अधिक 73 फीसदी निवेश पश्चिम उप्र में आया है, वहीं दूसरे स्थान पर पूर्वांचल है, जहां कुल निवेश का 12 प्रतिशत प्रस्तावित है। क्षेत्रवार निवेश के आँकड़े देखें, तो पश्चिम उप्र में 865 प्रोजेक्ट (58,671 करोड़ रूपये), पूर्वांचल 290 प्रोजेक्ट (9617 करोड़ रूपये), मध्य उप्र 217 प्रोजेक्ट (8997 करोड़ रूपये) और बुंदेलखंड 34 प्रोजेक्ट (2938 करोड़ रूपये) आए हैं। जीबीसी-3 के आंकड़ों से स्पष्ट है कि बड़े, मझोले और लघु उद्योगों के लिए अब पूर्वी उत्तर प्रदेश एक पसंदीदा क्षेत्र बनाता जा रहा है। इस आयोजन में पूर्वी उप्र के जिलों में आए 200 करोड़ रूपये और उससे अधिक के निवेश के प्रस्तावों में यह प्रमुख हैं। आने वाले समय में अन्य परियोजनाओं के पूरा हो जाने के साथ ही पूर्वी उप्र में बड़े स्तर पर नए उद्योग शुरू होने की संभावना है।

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