Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 31 Dec, 2020 05:46 PM
ब्रम्हलीन संत श्रीपाद बाबा के रूप में ब्रज में एक ऐसे महान संत का अवतरण हुआ जिसके चमत्कार आज भी विद्वानों एवं वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं। 31 जनवरी को ब्रज अकादमी वृन्दावन में उनकी...
मथुराः ब्रम्हलीन संत श्रीपाद बाबा के रूप में ब्रज में एक ऐसे महान संत का अवतरण हुआ जिसके चमत्कार आज भी विद्वानों एवं वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने हुए हैं। 31 जनवरी को ब्रज अकादमी वृन्दावन में उनकी 24वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। संत के चमत्कारों एवं विद्वता के चलते तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, उप राष्ट्रपति वेंकट रमन, पूर्व मंत्री डा कर्ण सिंह , पूर्व राज्यपाल मोतीलाल वोरा, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डा ईश्वरी प्रसाद समेत विभिन्न केन्द्रीय एवं राज्य विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति एवं विभागाध्यक्ष उनका आशीर्वाद लेने के लिए लालायित रहते थे।
बता दें कि बाबा के चमत्कारों में सबसे बड़ी विशेषता उनका विज्ञान से लेकर साहित्य तक,वाणिज्य से लेकर कृषि तक विभिन्न विषयों, विभिन्न संस्कृतियो, विधिं और यहां तक कि पत्रकारिता के गूढ तत्व का अथाह ज्ञान था। पांच भाषाओं में धारा प्रवाह बोलना उनकी अलग विशेषता थी। साहित्यिक गोष्ठियों, सेमिनार में उनका वक्तव्य ऐसा गूढ़ मगर इतना सरल होता था उनके वक्तव्य को सुन कर उस कार्यक्रम मौजूद उस विषय के मर्मज्ञ को यह आभास हो जाता था कि उसके लिए उस विषय की तलहटी तक पहुंचना अभी कोसों दूर है।
ब्रज अकादमी के स्थापना दिवस पर आयोजित सेमिनार में वे ऐसा विषय रख देते थे जिस पर दिल्ली यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, आगरा यूनिवर्सिटी, लखनऊ यूनिवर्सिटी तक के विद्वानों को अपने विचार प्रकट करना मुश्किल हो जाता था। उस विषय पर अंत में जब बाबा बोलते थे तो विद्वान भी विषय की गूढ़ता इतना आसान प्रस्तुतीकरण देखकर उसमें मौजूद विद्वतजन दांतों तले उंगली दबाते थे।
संत के परम शिष्य गोविन्द पाण्डे ने बताया कि बाबा तो चमत्कारों की खान थे। वे कुपात्र को दर्शन नही देते थे चाहे वह कितना बड़ा आदमी क्यों न हो। तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री बलराम जाखड़ बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए ब्रज अकादमी में चार घंटे तक रूके रहे। बाबा उस समय साधना कक्ष में थे मगर जैसे ही जाखड़ अकादमी में आए बाबा सूक्ष्म में चले गए और जब जाखड़ चले गए तो लोगों ने देखा कि वे अकादमी के बाहरी गेट से अन्दर चले आ रहे हैं। उनकी विशेषता यह थी कि जिसने उनसे सीधी फरियाद की उसे ही उन्होंने निराश किया मगर जिसने फरियाद नही की उसे भरपूर आशीर्वाद दिया।