Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 06 Jun, 2020 08:28 PM
केरल में गर्भवती हथिनी के साथ हुए क्रूरता से यह प्रतीत हो रहा था कि इंसान और जानवर का कोई भावुक संबंध ही नहीं है। वहीं उत्तर प्रदेश के बागपत में एक किसान और गाय का अनूठा प्रेम सामने आया है। जहां गाय की मृत्यु होने...
बागपतः केरल में गर्भवती हथिनी के साथ हुए क्रूरता से यह प्रतीत हो रहा था कि इंसान और जानवर का कोई भावुक संबंध ही नहीं है। वहीं उत्तर प्रदेश के बागपत में एक किसान और गाय का अनूठा प्रेम सामने आया है। जहां गाय की मृत्यु होने पर किसान के परिवारजनों ने गाय की तेरहवीं की और ब्रह्मभोज कराया। इस मौके पर यज्ञ का आयोजन करते हुए ग्रामीणों ने सोशल डिस्टेंस का पूरी तरह से ध्यान रखा।
बता दें कि दोघट क्षेत्र के दाहा गांव निवासी कृष्णपाल 1993 में अपने एक रिश्तेदार के यहां से एक बछिया को लेकर आए थे। जिसे वह एक परिवार का सदस्य मानते थे। कृष्णपाल उसे प्यार से राधा बुलाते थे। समय के साथ-साथ बछिया से राधा गाय बन गई और परिवार के साथ खुद भी एक सदस्य की तरह व्यवहार करती। लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता रहा राधा गाय की उम्र भी बढ़ती चली गई। समय पूरा होने के बाद राधा गाय इस परिवार को छोड़कर चली गई। वहीं कृष्णपाल का परिवार राधा गाय को परिवार का सदस्य मानता था। तो इसी कारण सबने राधा की मौत के बाद उसकी तेरहवीं करने की इच्छा जताई। विधि विधान से बकायदा घर में हवन कराया गया और तेरहवीं का भोज भी हलवाई से बनवाया गया। गांव में न्योता दिया गया और लोगों को आमंत्रित भी किया गया।
वहीं कृष्णपाल ने बताया कि राधा उनके लिए गाय नहीं बल्कि सदस्य थी। इससे पहले भी यह परिवार बेजुबान जानवरों के लिए अपना यही प्यार दिखा चुके है। गाय के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए ग्रामीणों को ब्रह्मभोज कराया गया। ग्रामीणों को मास्क बांटे गए। बता दें कि इस किसान परिवार ने वर्ष 2006 में बैल की तेरहवीं भी की थी।